शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय बार निकाय की बैठक में महिला आरक्षण पर हुए विचार-विमर्श की गुणवत्ता परखेगी
नोमान संतोष
- 13 Nov 2024, 09:02 PM
- Updated: 09:02 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक का वीडियो देखना चाहेगा ताकि बार निकाय में महिला आरक्षण के मुद्दे पर विचार-विमर्श की “गुणवत्ता और इसके प्रकार” का पता चल सके।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने बुधवार को कहा कि अदालत यह देखना चाहेगी कि उसके 26 सितंबर के आदेश के अनुसरण में दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की 15 सदस्यीय कार्यकारी समिति में महिलाओं के लिए पांच पद आरक्षित करने के प्रस्ताव को खारिज करते समय उचित विचार-विमर्श और गंभीर तर्कणा हुई थी या नहीं।
पीठ ने कहा, “उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) और दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) देश के अग्रणी बार में से हैं, जिनमें कई कानूनी दिग्गज शामिल हैं। यह कानूनी दिग्गजों का एक मंच है, जिनके विचारों, मूल्यों और दर्शन का पूरे देश में अनुसरण किया जाता है।”
पीठ ने कहा,“महिला आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार करते समय उन्हें संवैधानिक मूल्यों और लैंगिक समानता पर विचार-विमर्श करना चाहिए था।”
इसमें कहा गया है कि डीएचसीबीए में विधि क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं तथा यह बार की विश्वव्यापी संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है।
पीठ ने कहा, “हम देखना चाहते हैं कि उन्होंने संवैधानिक मूल्यों और महिला आरक्षण के मुद्दे पर उस समय कैसे चर्चा की, वह भी तब जब संसद ने भी कानून पारित कर दिया है।”
पीठ ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार, आम सभा की बैठक हुई और एक प्रस्ताव भी पेश किया गया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि बार निकाय प्रस्ताव को खारिज करने को भी उचित ठहरा रहा है।
पीठ ने डीएचसीबीए के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर से चुनाव की तारीख के बारे में पूछा। उन्होंने जवाब दिया कि मतदान 13 दिसंबर को होने की संभावना है।
पीठ ने आम सभा की बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में भी पूछा। माथुर ने जवाब दिया कि ऐसा किया गया था।
पीठ ने कहा, “सोमवार को हम यहां बड़ी स्क्रीन पर आम सभा की कार्यवाही देखेंगे। हम जानना चाहते हैं कि इस मुद्दे पर किस प्रकार का विचार-विमर्श हुआ और उसकी गुणवत्ता क्या थी।”
शीर्ष अदालत डीएचसीबीए में महिला सदस्यों के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
भाषा
नोमान