हिंदुओं के खतरे में होने का दावा करने वाले लोग मराठों को आरक्षण नहीं देने के लिए जिम्मेदार: जरांगे
अमित संतोष
- 13 Nov 2024, 06:50 PM
- Updated: 06:50 PM
(कुमार राकेश और सागर कुलकर्णी)
छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 13 नवंबर (भाषा) मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा है कि हिंदू एकता का आह्वान करने वालों ने मराठों को आरक्षण नहीं दिया।
जरांगे ने दावा किया कि महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तहत समाज के हर वर्ग का हित प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि मराठा चुनाव में अपनी ताकत दिखाएंगे।
मनोज जरांगे पाटिल (42) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में आरोप लगाया कि हिंदू एकता के लिए काम करने का दावा करने वाले लोगों ने मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए उनके समुदाय का इस्तेमाल किया है लेकिन उसकी जायज मांगों को नजरअंदाज किया।
पाटिल ने मराठों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण की अपनी मांग के समर्थन में समुदाय के एक बड़े वर्ग का समर्थन जुटाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप दावा करते हैं कि हिंदू खतरे में हैं तो मराठों का क्या? क्या आपको उनके बच्चों की परेशानियां नहीं दिखायी देतीं? अगर आप कहते हैं कि हिंदू मुश्किल में हैं तो मराठों का कल्याण सुनिश्चित करना भी आपकी ही जिम्मेदारी है। जब हम आरक्षण मांगते हैं तो एक हिंदू हमारा विरोध करता है लेकिन जब उन्हें मुस्लिमों पर निशाना साधना होता है तो उन्हें मराठों की जरूरत पड़ती है।’’
वह भाजपा के ‘‘बंटेंगे तो कटेंगे’’ और ‘‘एक हैं तो सेफ हैं’’ नारों पर प्रतिक्रिया जता रहे थे। उन्होंने सवाल किया कि ‘‘हिंदुओं को कौन काटेगा।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में मराठा सबसे बड़ी हिंदू जाति है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने मुद्दे आपस में सुलझा लेंगे। हम छत्रपति (शिवाजी) के हिंदुत्व का पालन करते हैं। हम अपना ख्याल रख लेंगे, आप अपने काम से काम रखें।’’
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दिए बयानों में मनोज जरांगे पाटिल किसी भी पार्टी का सीधे नाम लेने से बचते रहे हैं लेकिन उनके समर्थकों के बीच यह माना जाता है कि वह मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन, खासतौर से भाजपा के खिलाफ हैं।
उन्होंने अपनी टिप्पणियों में अपने रुख के स्पष्ट संकेत दिये। पाटिल ने कहा, ‘‘मराठा समुदाय अच्छी तरह समझता है कि किसे हराना है। उन्हें यह बात लोकसभा चुनाव के दौरान भी समझ में आई थी और उन्हें अब भी इसकी समझ है। कोई भ्रम नहीं है।’’
उन्होंने राज्य सरकार पर मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘आरक्षण के खिलाफ रहे लोगों को मराठा 100 प्रतिशत हराएंगे।’’
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि कांग्रेस-शिवसेना-राकांपा (शरद चंद्र पवार) की विपक्षी महा विकास आघाडी ने 48 में से 30 सीट जीती थीं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन को 17 सीट मिली थीं।
महाराष्ट्र में विकास के लिए राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन को फिर से चुनने के लिए मतदाताओं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से कहा कि समाज का हर वर्ग इतना खुश है कि मोदी को सत्तारूढ़ सरकार को ‘डबल-इंजन’ नहीं बल्कि ‘ट्रिपल-इंजन सरकार’ कहना चाहिए।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आखिरकार हर खेत सिंचित है और किसी भी किसान पर कर्ज नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को अपनी फसलों के लिए बेहतर दाम चाहिए और वे कर्ज से मुक्त होना चाहते हैं लेकिन यह सरकार उन्हें उनका हक नहीं देती।
आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने कहा, ‘‘मराठा अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं, धनगर आरक्षण चाहते हैं, छोटे ओबीसी समुदाय भी हैं जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं। हर कोई गुस्से में है। हालात बहुत खराब हैं। लोग उन्हें सबक सिखाएंगे और चुनाव में परास्त करेंगे।’’
जरांगे ने कहा कि चाहे मुस्लिम हों, दलित हों या व्यापारी हों, सरकार ने सभी के हितों को नुकसान पहुंचाया है।
इस विचार के बीच कि भाजपा मराठों के संभावित रूप से एकजुट होने के प्रभाव को असफल करने के लिए ओबीसी का समर्थन जुटाने के लिए काम कर रही है, पाटिल ने स्पष्ट किया कि उनका प्राथमिक उद्देश्य मराठों के लिए आरक्षण प्राप्त करना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मराठों को लगभग 150 साल पहले आरक्षण का लाभ मिला था, लेकिन बाद में उन्हें ओबीसी में शामिल नहीं किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके आंदोलन ने समाज को विभाजित कर दिया है और इससे ओबीसी के बीच ध्रुवीकरण हो सकता है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मराठा और ओबीसी गांवों में एक साथ रह रहे हैं और कोई मनमुटाव नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। ओबीसी समझते हैं कि गरीब और पिछड़े मराठों को आरक्षण मिलना चाहिए। कुछ मुट्ठीभर लोग हैं जो इस तरह की भ्रांतियां फैलाते हैं। इन चुनावों में उन्हें सबक सिखाया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे को सामने लाने के बाद वह नयी सरकार आने के बाद इसे लागू करवाने के लिए ‘‘सामूहिक आमरण अनशन’’ शुरू करेंगे।
उन्होंने दावा किया कि यह देश का अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक अनशन होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मराठों के समर्थन के बिना कोई भी गठबंधन सत्ता में नहीं आ सकता, जो राज्य की आबादी का लगभग 28 प्रतिशत हैं।
उन्होंने भाजपा नेता एवं राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठों के हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया और दावा किया कि सरकार वही चला रहे हैं न कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे।
'महायुति' सरकार की वापसी के लिए मोदी की अपील के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने किसानों को उनकी उपज के लिए कथित रूप से पर्याप्त मूल्य नहीं मिलने का मुद्दा उठाते हुए मौजूदा सरकार पर कटाक्ष किया।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘कपास 15,000 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है, गेहूं 26,000 रुपये प्रति क्विंटल बेचा जा रहा है, सोयाबीन के लिए 36,000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है, प्याज को भी अच्छी कीमत मिल रही है। किसान बहुत खुश हैं। हर खेत सिंचित है, इतना कि हर मेड़ पर पानी बह रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी किसान इस्त्री किए हुए कपड़े और धूप का चश्मा पहनकर घूम रहे हैं। कोई भी उन्हें (मोदी को) दोष नहीं देगा, वे बहुत नेक इंसान हैं।’’
जरांगे से जब चुनाव में उम्मीदवार उतारने का अपना फैसला वापस लेने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे राजनीति नहीं बल्कि मराठों के लिए आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने ऐसा एमवीए के प्रभाव में किया, ताकि समुदाय के मतों में विभाजन की संभावना को खत्म किया जा सके।
शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित पवार और शिंदे के बारे में उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर किसी ने मराठों की मदद नहीं की है।
भाषा अमित