उप राष्ट्रपति ने नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और दायित्वों के बीच संतुलन पर जोर दिया
हर्ष शफीक
- 12 Nov 2024, 07:25 PM
- Updated: 07:25 PM
इंदौर (मध्यप्रदेश), 12 नवंबर (भाषा) राष्ट्र को ‘‘सबसे बड़ा धर्म’’ करार देते हुए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों को अपने संवैधानिक अधिकारों को दायित्वों से संतुलित करना चाहिए।
धनखड़ ने उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘कोई भी समाज और देश इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम (केवल) अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें इन अधिकारों को अपने दायित्वों से संतुलित करना होगा।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र, सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे राष्ट्र को हमेशा सर्वोपरि रखते हुए अपने कर्तव्य निभाएं और वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने में योगदान करें।
धनखड़ ने कहा कि कुटुम्ब प्रबोधन देश के चरित्र में है और नागरिकों को अपने आस-पास रहने वाले लोगों के सुख-दुःख की सुध लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश की सामाजिक समरसता को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं और सामाजिक समरसता बरकरार रखने की सख्त आवश्यकता है।
धनखड़ ने महाकवि कालिदास को याद करते हुए उन्हें ‘‘समग्र कवि समुदाय का कुलगुरु’’ बताया। उन्होंने कहा कि कालिदास की ‘‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’’, ‘‘मेघदूतम्’’, ‘‘कुमार संभवम्’’ और ‘‘ऋतु संहार’’ और ‘‘मालविका अग्निमित्रम्’’ सरीखी अमर कृतियों में मानवीय भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
धनखड़ ने कहा,‘‘आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। महाकवि कालिदास की रचनाओं से हमें बोध होता है कि पर्यावरण का संरक्षण हमारे अस्तित्व के लिए अहम है।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा कोई दूसरा स्थान रहने के लिए नहीं है।’’
धनखड़ ने कहा कि दुनिया में भारत के अलावा दूसरा कोई भी देश नहीं है जिसके पास इतनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हो।
उन्होंने कहा,‘‘यह बात ध्यान रखने वाली है कि जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभाल कर नहीं रखता, वह ज्यादा दिन नहीं टिक सकता। हमें हमारी संस्कृति पर पूरा ध्यान देना होगा।’’
समारोह को सूबे के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के लिए उदय भवालकर और अरविंद पारीख, शास्त्रीय नृत्य के लिए डॉ. संध्या पुरेचा और गुरु कलावती देवी, रूपंकर कलाओं के लिए पीआर दारोज और रघुपति भट्ट और रंगकर्म के लिए भानु भारती और रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से नवाजा गया। भोज श्रेष्ठ कृति अलंकरण आचार्य बालकृष्ण शर्मा को प्रदान किया गया।
भाषा हर्ष