एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन प्राधिकरण पर मसौदा विधेयक राज्यों को वितरित किया गया
आशीष वैभव
- 12 Nov 2024, 03:23 PM
- Updated: 03:23 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव करने वाले एक मसौदा मॉडल विधेयक को सभी राज्यों को भेज दिया गया है। यह प्राधिकरण गांवों से लेकर शहरों तक जल सुरक्षा योजनाएं विकसित करने, भूजल प्रबंधन और डूब क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त सचिव राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि विकसित भारत के दृष्टिकोण के तहत जल सुरक्षा हासिल करने के लिए सरकार ने राज्य स्तर पर एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन प्राधिकरण (आईडब्ल्यूआरएम) के गठन का प्रस्ताव दिया है, जो विभिन्न जल-संबंधित विभागों और एजेंसियों के प्रयासों का समन्वय और एकीकरण करेगा।
उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और त्रिवेणी जल संस्थान द्वारा आयोजित 10वें जल नवाचार सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘‘विधेयक का मसौदा सभी राज्यों को भेजा गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली आईडब्ल्यूआरएम परिषद की समग्र देखरेख में इस राज्य आईडब्ल्यूआरएम प्राधिकरण को जल क्षेत्र के विकास की दिशा निर्धारित करने के लिए विभिन्न नियामक शक्तियां प्रदान की गई हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह गांवों और शहरों से लेकर जिलों और राज्य स्तर तक जल सुरक्षा योजनाओं, भूजल प्रबंधन, बाढ़ प्रबंधन और नदी संरक्षण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए जिम्मेदार होगा।’’ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय जल डेटा नीति का नया मसौदा इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
जल शक्ति मंत्रालय ने जल क्षेत्र में नवाचार को गति देने की राष्ट्रीय रणनीति भी बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘इस नीति का उद्देश्य जल क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए नवाचार को प्रेरक शक्ति बनाना है, ताकि सभी के लिए जल सुरक्षा हासिल की जा सके। इसका मिशन जल क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिहाज से खुले सहयोग के अवसर और सक्षम मंच बनाना है।’’
वर्मा ने यह भी कहा कि जल के औद्योगिक उपयोग में बेहतर दक्षता हासिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘देश के औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 40 अरब घन मीटर जल का उपयोग किया जाता है। भारतीय उद्योगों में जल उपयोग दक्षता विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। जल उपयोग दक्षता में सुधार की काफी गुंजाइश है।’’
भाषा आशीष