कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता : शीर्ष अदालत
पारुल अविनाश
- 11 Nov 2024, 08:07 PM
- Updated: 08:07 PM
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोई भी धर्म प्रदूषण फैलानी वाली गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता। उसने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को पूरे साल लागू करने के मुद्दे पर एक पखवाड़े के भीतर फैसला ले।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
पीठ ने रेखांकित किया, "प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता, जो प्रदूषण फैलाती हो। अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो नागरिकों के स्वस्थ जीवन जीने के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है।"
दिल्ली सरकार के वकील की इस दलील का संज्ञान लेते हुए कि पटाखों पर प्रतिबंध को पूरे साल लागू करने पर सभी हितधारकों से परामर्श कर फैसला लिया जाएगा, शीर्ष अदालत ने मामले में 25 नवंबर तक निर्णय लेने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने पड़ोसी राज्यों की सरकारों से अपने-अपने क्षेत्र में पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उन्हें फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर जवाब दाखिल करने को कहा।
सुनवाई के दौरान पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को व्यापक रूप से लागू करने में नाकाम रहने के लिए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और उसकी कार्रवाई को महज 'दिखावा' करार दिया।
पीठ ने कहा, "हमने पाया है कि प्रतिबंध आदेश के कार्यान्वयन को दिल्ली पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। हलफनामे में इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा गया है कि प्रतिबंध आदेश के बारे में उन लोगों को सूचित किया गया था या नहीं, जिन्हें पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री का लाइसेंस हासिल है।"
उसने कहा, "दिल्ली पुलिस को सबसे पहले लाइसेंस धारकों और अन्य लोगों को पटाखों की बिक्री को तुरंत रोकने की सूचना देनी चाहिए थी।"
पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित पक्षों को प्रतिबंध आदेश के बारे में तुरंत सूचित करें और यह सुनिश्चित करें कि ऑनलाइन मंचों पर पटाखों की बिक्री और आपूर्ति न की जाए।
उसने कहा, ‘‘हम दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वह पटाखों पर प्रतिबंध संबंधी आदेश का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाएं और स्थानीय थाने के प्रभारियों को प्रतिबंध लागू करने का जिम्मा सौंपें।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर तक आदेश क्यों नहीं जारी किया। यह बहुत हद तक संभव है कि उपयोगकर्ताओं ने उस समय तक पटाखे खरीद लिए होंगे।’’
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दशहरे के ठीक दो दिन बाद 14 अक्टूबर को पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।
भाटी ने दलील दी, "14 अक्टूबर तक हमारे पास प्रतिबंध आदेश को विनियमित या नियंत्रित करने का अधिकार नहीं था। हम प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ही इसे लागू कर सकते हैं।"
उच्चतम न्यायालय ने दिवाली पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर में जबरदस्त वृद्धि पर गंभीर चिंता जताते हुए चार नवंबर को अदालती आदेशों के उल्लंघन का संज्ञान लिया था और कहा था कि पटाखों पर प्रतिबंध से जुड़े उसके निर्देशों पर “शायद ही अमल हुआ।”
शीर्ष अदालत ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम को ‘कमजोर’ करने के लिए 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार की खिंचाई की थी और इस बात पर जोर दिया था कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना भारत के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
उच्चतम न्यायालय एमसी मेहता की ओर से 1985 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
भाषा पारुल