न्यायालय ने शराब की दुकानों पर उम्र की जांच के लिए नीति बनाने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
धीरज संतोष
- 11 Nov 2024, 07:17 PM
- Updated: 07:17 PM
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें शराब की दुकानों और अन्य विक्रय स्थलों पर उम्र की अनिवार्य जांच के लिए एक प्रभावी नियमावली और सुदृढ़ नीति बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों की आबकारी नीति में उम्र संबंधी कानून है, जिसके तहत एक निश्चित उम्र से कम उम्र के व्यक्ति के लिए शराब पीना या रखना अवैध है, लेकिन शराब की बिक्री या सेवन के स्थानों पर उपभोक्ताओं या खरीदारों की उम्र की जांच करने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
याचिका में शराब की घर पर ही आपूर्ति करने की नीति का विरोध किया गया है और दलील दी गई है कि इससे कम उम्र के लोगों में शराब पीने की लत तेजी से बढ़ेगी।
यह याचिका न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शराब पीने की न्यूनतम कानूनी उम्र 18 से 25 वर्ष के बीच तय की गई है।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कम्यूनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ ने यह याचिका दाखिल की है। उसके वकील विपिन नायर ने सुनवाई के लिए दलील दी कि शराब की दुकानों, बार, पब आदि में उपभोक्ताओं या खरीदारों की उम्र जांचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
इसमें कहा गया है कि इस संबंध में एक ठोस नीति से शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या को कम करने और रोकने में मदद मिलेगी तथा कम उम्र में शराब पीने पर भी अंकुश लगेगा।
याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया है कि नाबालिगों को शराब बेचने, परोसने या उपलब्ध कराने के दोषी व्यक्ति पर 50,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों का प्रावधान किया जाना चाहिए।
याचिका में केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिवादी बनाया गया है।
पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब तलब करेगी।
न्यायालय कहा, ‘‘नोटिस प्रतिवादी संख्या एक (भारत संघ) तक सीमित रखा जाए।’’ मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
याचिका में शराब परोसने वाली सभी दुकानों, पब या बार पर अनिवार्य उम्र जांच के लिए नीति बनाने और उसे लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
गैर सरकारी संगठन ने अपनी अर्जी में कहा कि देश में मौजूद कई नशामुक्ति केंद्रों से एकत्र आंकड़ों के अनुसार, हर पांच में से एक मरीज 16 से 19 वर्ष के बीच का है।
भाषा धीरज