कोविड घोटाला: समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई कैबिनेट की मंजूरी के बाद : सिद्धरमैया
अमित नरेश
- 10 Nov 2024, 10:11 PM
- Updated: 10:11 PM
बेंगलुरु/हुबली, 10 नवंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रविवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से संबंधित अनियमितताओं की जांच मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद शुरू होगी।
सिद्धरमैया ने कहा कि उप-समिति न्यायमूर्ति माइकल डी कुन्हा जांच आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट पर गौर कर रही है, जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य में सत्ता में रहने के दौरान कोविड-19 महामारी के दौरान उपकरणों और दवाओं की खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच की गई थी।
सिद्धरमैया ने हुबली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह मामला कैबिनेट के समक्ष नहीं आया है। उप-समिति रिपोर्ट पर गौर कर रही है। एक बार उप-समिति अपनी रिपोर्ट सौंप दे, तो हम कैबिनेट में इस पर चर्चा करेंगे।’’
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने शनिवार को कहा था कि आयोग ने महामारी के दौरान उपकरणों और दवाओं की खरीद में कथित अनियमितताओं के संबंध में येदियुरप्पा और पूर्व मंत्री बी श्रीरामुलु के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की है।
कर्नाटक सरकार ने डी' कुन्हा आयोग की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) और एक कैबिनेट उप-समिति गठित करने का 11 अक्टूबर को फैसला किया। 31 अगस्त को 11 खंडों में प्रस्तुत "आंशिक" रिपोर्ट में, आयोग ने 7,223.64 करोड़ रुपये के व्यय की जांच की।
येदियुरप्पा ने कहा था कि ‘‘इन धमकियों’’ से डरने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा था कि सरकार अतीत को खंगालकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है और इससे कोई फायदा नहीं होगा।
येदियुरप्पा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जताते हुए सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ये खोखली धमकियां नहीं हैं। हमने न्यायमूर्ति माइकल डी' कुन्हा की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘देखते हैं कि आपराधिक कार्रवाई शुरू होने के बाद वे (येदियुरप्पा) क्या करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका न्याय देने के लिए होती है। क्या यह गलत काम करने वालों को दंडित करने के लिए नहीं है।’’
गृहमंत्री जी परमेश्वर ने भी रिपोर्ट के आधार पर पूर्व येदियुरप्पा और अन्य पर मुकदमा चलाने का संकेत दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य मंत्रिमंडल अगली कार्रवाई का फैसला करेगा।
परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ (रिपोर्ट में) यह कहा गया है कि अकेले इस (पीपीई किट) खरीद में लगभग 15-16 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। स्वाभाविक रूप से, सरकार अगला कदम उठाएगी। मंत्रिमंडल इस पर फैसला करेगा।’’
इस बीच, कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियंक खरगे ने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्थानीय स्तर पर 333.40 रुपये प्रति किट की दर से पीपीई किट उपलब्ध थी, जो एक चीनी कंपनी और हांगकांग की एक कंपनी से 2,100 रुपये प्रति किट की दर से खरीदी गई थी।
खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 17 मार्च, 2020 को कर्नाटक की तत्कालीन भाजपा सरकार ने 416.48 करोड़ रुपये की दवाओं, रसायन, चिकित्सा उपकरण और इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की खरीद को मंजूरी दी थी।
स्वास्थ्य विभाग की आवश्यकता मूल्यांकन समिति ने 12 लाख पीपीई किट खरीदने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि यह उस समय की बात है जब राज्य में 18 लाख किट उपलब्ध थीं।
मंत्री ने कहा कि 12 लाख पीपीई किट खरीदने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग विभाग से प्राप्त ईमेल के आधार पर 2,117.53 रुपये की दर तय की गई थी। उन्होंने ईमेल का हवाला देते हुए कहा कि इसमें दो कंपनियों के नाम थे: एक चीनी और एक हांगकांग की कंपनी।
मंत्री ने आरोप लगाया कि सरकार ने विक्रेता के साथ मोलभाव नहीं किया, न ही निविदा आमंत्रित की और न ही मौजूदा बाजार दर की पुष्टि की, बल्कि विक्रेता ने जो भी दर प्रस्तावित की, उस पर सहमत हो गई।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने येदियुरप्पा और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि तीन ‘कोटेशन’ आए हैं और उन्हें अल्पकालिक निविदा आमंत्रित करने के लिए कहा।
खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने इसे एक आपातकालीन स्थिति बताया और अधिकारियों से फाइल तैयार करने को कहा और कहा कि वे उन पर गौर करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि दो अप्रैल, 2020 को फाइल सरकार को सौंपी गई। उन्होंने कहा कि (तत्कालीन) मुख्यमंत्री ने एक लाख पीपीई किट खरीदने का सीधा आदेश दिया और इससे सरकार को लगभग 21.18 करोड़ रुपये का खर्च आया। उन्होंने कि कुल मिलाकर 62.57 करोड़ रुपये की लागत से पीपीई किट खरीदी गईं।
भाषा अमित