सारंगी वादन को लोकप्रिय बनाने वाले पंडित राम नारायण को दिग्गजों ने श्रद्धांजलि दी
धीरज पारुल
- 10 Nov 2024, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) सारंगी वादन को लोकप्रिय बनाने वाले पंडित राम नारायण को कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी। उन्होंने नारायण को ‘सारंगी के अद्वितीय वादक’ और ‘शास्त्रीय संगीत के लिए फिल्म उद्योग की चकाचौंध को त्याग देने वाले शानदार संगीतकार’ के तौर पर याद किया।
नारायण को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सारंगी को एकल वाद्य के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उनका शुक्रवार देर रात 96 साल की उम्र में मुंबई स्थित आवास पर निधन हो गया था।
नारायण के पोते हर्ष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आठ नवंबर को रात करीब 11.15 बजे उनका निधन हो गया। वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रस्त थे, लेकिन लंबे समय से बीमार नहीं थे।’’
हर्ष खुद एक विख्यात सारंगी वादक हैं और उन्होंने छह साल की उम्र में अपने दादा से प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि नारायण का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
पद्म विभूषण से सम्मानित नारायण ने ‘मुगल-ए-आजम’, ‘मधुमती’, ‘पाकीजा’, ‘गंगा जमुना’ और ‘कश्मीर की कली’ सहित कई सुपरहिट फिल्मों में सारंगी की धुन संगीत बजाई थी। 1949 में मुंबई जाने से पहले उन्होंने 1940 के दशक के मध्य में लाहौर और दिल्ली में आकाशवाणी केंद्र के साथ काम किया था।
राजस्थान में शास्त्रीय संगीत से जुड़े एक परिवार में 25 दिसंबर 1927 को जन्मे नारायण ने बॉलीवुड में अपार सफलता पाई, लेकिन अंततः फिल्म उद्योग को अलविदा कहकर खुद को पूरी तरह से शास्त्रीय संगीत के लिए समर्पित कर दिया।
नारायण की शिष्या और प्रसिद्ध पार्श्व गायिका कविता कृष्णमूर्ति ने श्रीलंका से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वह फिल्मों में सारंगी वादन करते थे और मदन मोहन जैसे संगीत निर्देशक उनके बिना रिकॉर्डिंग नहीं करते थे। उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया और भारत तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगीत समारोहों में सारंगी बजाने का निर्णय लिया।’’
कृष्णमूर्ति ने बताया कि बाद में नारायण ने कई एल्बम रिकॉर्ड किए और 1964 में अपने बड़े भाई एवं तबला वादक चतुर लाल के साथ अमेरिका और यूरोप का पहला अंतरराष्ट्रीय टूर किया।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि 1970 के दशक के मध्य में उन्हें महान संगीतकार से सीखने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि भारत में सारंगी वादन को लोकप्रिय बनाने का श्रेय नारायण को जाता है।
कृष्णमूर्ति ने बताया, ‘‘वह बहुत ही समर्पित और गंभीर शिक्षक थे। मैंने उनसे संगीत के बारे में बहुत कुछ सीखा। बाद में भी जब वह अभ्यास करते थे, तो मैं उनसे मिलने जाती थी। वह एक अद्भुत संगीतकार थे। उनकी आवाज बहुत मधुर और भावविभोर करने वाली थी, लेकिन उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से नहीं गाया।’’
संगीत निर्देशक और गायक अदनान सामी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महान सारंगी वादकों में से एक थे। उनके निधन से दुखी हूं।’’
सामी (53) ने लिखा, ‘‘एक असाधारण कलाकार के अलावा वह एक बहुत ही दयालु और सज्जन व्यक्ति थे। उनकी मुस्कान मन मोह लेने वाली थी और उनमें विनम्रता झलकती थी... सारंगी मेरे पसंदीदा वाद्ययंत्रों में से एक है और पंडित जी जानते थे कि इसे कैसे बजाया जाए... उनकी आत्मा को शांति मिले।’’
नारायण को 1976 में पद्मश्री, 1991 में पद्म भूषण और 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, मध्य प्रदेश सरकार के कालीदास सम्मान और आदित्य विक्रम बिरला कलाशिखर पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
नारायण के जीवन पर बनी फिल्म ‘पंडित रामनारायण-सारंगी के संग’ को 2007 में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया गया।
महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से लेकर संगीत नाटक अकादमी और ‘एसपीआईसी मैके’ तक ने महान संगीतकार को श्रद्धांजलि दी।
राधाकृष्णन ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त सारंगी वादक पंडित राम नारायण जी के निधन की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। पंडित राम नारायण ने अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा के माध्यम से सारंगी को वैश्विक ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी सारंगी की धुन हृदय और आत्मा को छू लेती थी।’’
प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना और पूर्व राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने नारायण को ‘‘अपनी कला के प्रति पूर्णतः समर्पित एक हंसमुख व्यक्ति’’ करार दिया।
संगीत नाटक अकादमी ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। युवाओं में भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने वाली सोसाइटी (एसपीआईसी मैके) ने कहा कि नारायण की ‘‘कलात्मक क्षमता ऐसी थी कि वह शास्त्रीय संगीत की दुनिया में सारंगी के पर्याय बन गए थे।’’
नारायण की तीन संतानें हैं, जिनमें पंडित बृज नारायण सरोद वादक हैं, जबकि अरुणा और शिव प्रशिक्षित संगीतकार हैं।
भाषा धीरज