जम्मू-कश्मीर: जबरवान के जंगलों में मुठभेड़ के कारण दहशत का माहौल
सिम्मी वैभव
- 10 Nov 2024, 07:20 PM
- Updated: 07:20 PM
(तस्वीरों के साथ जारी)
श्रीनगर, 10 नवंबर (भाषा) पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब यहां जबरवान के घने जंगलों में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच रविवार को मुठभेड़ हुई तथा इलाके में दशहत के माहौल के बीच स्थानीय निवासियों को वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा।
इलाके में घेराबंदी मजबूत करने के लिए अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है।
डल झील के किनारे निशात के आसपास इस मुठभेड़ से पहले, इस महीने की शुरूआत में श्रीनगर के खानयार इलाके में मुठभेड़ हुई थी जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक शीर्ष पाकिस्तानी कमांडर मारा गया था।
अधिकारियों ने बताया कि जबरवान में मुठभेड़ कई घंटों तक चली, लेकिन आतंकवादी घने जंगल का फायदा उठाकर भाग गए और ताजा रिपोर्ट मिलने तक आतंकवादियों की तलाश जारी थी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सुबह करीब नौ बजे सेना, पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों की एक टुकड़ी वहां पहुंची और उसने तलाश अभियान शुरू किया जिसके तुरंत बाद जंगल में गोलियों की आवाज गूंजने लगी।
इस वन क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक घर हैं और कई लोग दहशत के कारण इलाके से भाग गए हैं। यहां वनक्षेत्र में स्थानीय लोग अपने मवेशियों को चराते हैं और साथ ही महिलाएं कश्मीर की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से बचने के लिए जंगल से लकड़ियां लाती हैं।
स्थानीय निवासी अब्दुल खालिक ने कहा, ‘‘मैंने सुबह कुछ गोलियां चलने की आवाज सुनी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह गोलीबारी पड़ोस में ही हो रही है। मैं पिछले दो दशक से यहां रह रहा हूं और मैंने कभी ऐसी घटना नहीं देखी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरी पत्नी तुरंत घर से निकलकर सुरक्षित जगह की ओर भागे। इस वन क्षेत्र में कम से कम दो दर्जन घर हैं।’’
एक अन्य स्थानीय निवासी अब्दुल राशिद लंबे समय से जंगल में अक्सर आते-जाते हैं। वह आज सुबह जब अपने मवेशियों को जंगल में छोड़कर लौट रहे थे, तभी मुठभेड़ शुरू हो गई।
परेशान दिख रहे राशिद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं आज अपनी गाय और कुछ भेड़ों को भी जंगल में ले गया था। जब मैं नीचे आ रहा था, तब मैंने कुछ गोलियों की आवाज सुनी। मेरे मवेशी अब भी वहीं हैं और मैं सड़क पर उनका इंतजार कर रहा हूं। यह हमारे लिए एक असामान्य दृश्य है क्योंकि यह एक शांत जगह है।’’
गोलीबारी शुरू होने के तुरंत बाद पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) और सीआरपीएफ के अतिरिक्त बल इलाके में पहुंचे और उन्होंने वहां कड़ी घेराबंदी कर दी।
सुरक्षा बलों ने आम नागरिकों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी ताकि किसी भी तरह की जनहानि न हो। यहां तक कि मुठभेड़ की रिपोर्टिंग करने के लिए मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मियों को भी सुरक्षित दूरी पर रखा गया।
नाम न बताने की शर्त पर एक महिला ने कहा, ‘‘मैं अन्य महिलाओं के साथ सुबह-सुबह जंगल में लकड़ियां इकट्ठा करने गई थी लेकिन हमें कुछ दिखाई नहीं दिया। बाद में, जब हम घर पहुंचे तो हमने गोलियों की आवाज सुनी। मैं अब भी समझ नहीं पा रही कि आखिर क्या हुआ। हमारे रिश्तेदार हमें फोन कर रहे हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर सब जगह गोलीबारी की खबर है।’’
इससे पहले, पुलिस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के आधार पर श्रीनगर के जबरवान वन क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों का संयुक्त अभियान शुरू किया गया। अभियान के दौरान गोलीबारी हुई।’’
नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के 16 अक्टूबर को गठन के बाद बढ़ी आतंकवादी गतिविधियों के बीच, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की तलाश तेज करने और यह सुनिश्चित करने का हाल में निर्देश दिया था कि घाटी के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने वाली कोई भी आतंकवादी गतिविधि न हो।
भाषा
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