उप्र में कांवड़ मार्ग के निर्माण के लिए 17,600 पेड़ काटे गए: समिति ने एनजीटी से कहा
अमित सुभाष
- 10 Nov 2024, 06:31 PM
- Updated: 06:31 PM
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को एक तथ्यान्वेषी समिति द्वारा सूचित किया गया है कि आगामी कांवड़ यात्रा मार्ग बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में 17,600 से अधिक पेड़ काटे गए हैं।
अधिकरण गाजियाबाद के मुरादनगर और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा है।
छह नवंबर को दिए गए आदेश में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि तथ्यों का पता लगाने के लिए पहले गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है।
समिति में भारतीय वन सर्वेक्षण के निदेशक, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि और मेरठ के जिलाधिकारी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नौ अगस्त, 2024 तक तीनों जिलों में 17,607 पेड़ काटे जा चुके हैं।’’
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं।
अधिकरण ने कहा कि 1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में केवल 33,776 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया।
इसने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना क्या उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई है।’’
अधिकरण ने राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें मार्ग के निर्माण के दौरान काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या बताई जाए।
उसने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाए कि क्या पेड़ों की कटाई 15 से 20 मीटर की चौड़ाई से अधिक दायरे में की गई है और यदि हां, तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति कौन है।
अधिकरण ने कहा, ‘‘सार्वजनिक परियोजना से संबंधित मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, संयुक्त समिति से अपेक्षा की जाती है कि वह निर्देशानुसार, शीघ्रता से कार्य पूरा करे और बिना किसी देरी के अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करे।’’
अधिकरण ने नहरों के दोनों ओर काटे गए पेड़ों की सीमा का पता लगाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण करने के बारे में 16 अक्टूबर को महासर्वेक्षक के पहले के बयान का भी उल्लेख किया।
हालांकि, इसने कहा, ‘‘भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से वह जानकारी एकत्र नहीं की जा सकती। इसलिए, हम महासर्वेक्षक, भारतीय सर्वेक्षण विभाग को वर्ष 2024 (अक्टूबर 2024 तक) के लिए विचाराधीन खंडों की उपग्रह तस्वीर प्राप्त करने और विचाराधीन खंडों में 2023 में मौजूद पेड़ों और अक्टूबर 2024 तक काटे गए पेड़ों की तुलनात्मक स्थिति दिखाते हुए एक नयी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’’
मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर के लिए निर्धारित की गई है।
भाषा अमित