‘वोट जिहाद’ का जवाब मतों के ‘धर्मयुद्ध’ से दिया जाना चाहिए: फडणवीस
सिम्मी वैभव
- 09 Nov 2024, 10:55 PM
- Updated: 10:55 PM
छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), नौ नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए शनिवार को यहां कहा कि ‘‘वोट जिहाद’’ का जवाब मतों के ‘‘धर्मयुद्ध’’ से दिया जाना चाहिए।
भाजपा नेता ने महायुति गठबंधन के उम्मीदवार अतुल सावे (औरंगाबाद पूर्व), संजय शिरसाट (औरंगाबाद पश्चिम) और प्रदीप जायसवाल (औरंगाबाद मध्य) के समर्थन में आयोजित एक रैली में कहा, ‘‘इस शहर का नाम अब कोई नहीं बदल सकता। यहां एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की रैली में किसी ने पूछा कि संभाजी महाराज कौन थे। संभाजी महाराज नौ साल तक अपराजित रहे इसलिए हमने शहर को उनका नाम दिया है।’’
इस शहर को पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था। इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक रहे संभाजी के नाम पर रखा गया।
फडणवीस ने कहा, ‘‘राज्य में अब वोट जिहाद शुरू हो गया है। हमने लोकसभा चुनाव में देखा था। धुले में हम 1.90 लाख वोट से आगे थे, लेकिन मालेगांव (विधानसभा क्षेत्र) में 1.94 लाख वोट थे और हम केवल 4,000 वोट से हार गए। यह वोट जिहाद ही हमारी हार का कारण बना क्योंकि हम एकजुट नहीं थे।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का संदेश दिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ‘एक रहेंगे तो ‘सेफ’ रहेंगे।’
उन्होंने कहा कि यह चुनाव यह दिखाने का अवसर है कि छत्रपति संभाजीनगर एक भगवा किला था।
फडणवीस ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और भाजपा के पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर कहा कि दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने इस शहर को ‘संभाजीनगर’ नाम दिया था और ‘‘अब कुछ लोगों को बाल ठाकरे को हिंदू हृदय सम्राट कहने में शर्म आती है और वे उन्हें ‘जनाब’ बाल ठाकरे कहते हैं।’’
उन्होंने एआईएमआईएम पर निशाना साधते हुए कहा कि यह उन लोगों के सपनों को कुचलने का चुनाव है जो शहर में रजाकारों का शासन लाने की कोशिश कर रहे हैं।
रजाकार हैदराबाद राज्य के तत्कालीन शासक निजाम की कुख्यात मिलिशिया थी। उस समय औरंगाबाद भी इसका हिस्सा था।
फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर वे वोट जिहाद कर रहे हैं, तो संभाजीनगर को वोट के लिए 'धर्म-युद्ध' करने को तैयार रहना चाहिए।’’
भाषा सिम्मी