तृणमूल ने निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपकर प. बंगाल भाजपा प्रमुख, केंद्रीय बलों की शिकायत की
अमित माधव
- 09 Nov 2024, 08:17 PM
- Updated: 08:17 PM
नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को यहां निर्वाचन आयोग के कार्यालय पहुंचा और दो ज्ञापन सौंपे, जिनमें से एक में पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार पर ‘‘भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और राज्य पुलिस का अपमान करने’’ का आरोप लगाया गया जबकि दूसरा उपचुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती के मुद्दे से संबंधित था।
पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, राज्यसभा संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन और सांसद कीर्ति आजाद, साकेत गोखले और सुष्मिता देव शामिल थीं।
टीएमसी नेताओं ने शिकायत की कि निर्वाचन आयोग को पूर्व सूचना देने के बावजूद आयोग के कार्यालय में उनसे मिलने के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं था।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि आयोग को शुक्रवार देर शाम टीएमसी से एक मेल मिला था जिसमें एक मुलाकात का अनुरोध किया गया था लेकिन इसमें कारण या तात्कालिकता का कोई उल्लेख नहीं था।
सूत्रों ने कहा, ‘‘टीएमसी ने मेल में कोई प्रतिवेदन नहीं था। टीएमसी प्रतिनिधि पहले से समय लिये बिना आ गए थे और उनका ज्ञापन शनिवार को रसीद और प्रेषण अनुभाग में प्रक्रिया के अनुसार प्राप्त किया गया।’’
टीएमसी नेता आजाद और देव ने कहा कि वे निर्वाचन आयोग के आचरण से निराश हैं।
आजाद ने कहा, ‘‘हमने (निर्वाचन आयोग से) समय मांगा था, 24 घंटे से ज़्यादा हो गए हैं। चुनाव प्रचार 11 नवंबर को बंद हो जाएगा और 13 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव नियमावली में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए एक पूर्ण पीठ होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां पांच लोग हैं और हम संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी हैं, जिसके दोनों सदनों के नेता हैं। फिर भी, उनके पास हमसे मिलने का समय नहीं है। यह दर्शाता है कि वे केंद्र सरकार की कठपुतली हैं।’’
टीएमसी की शिकायतों के बारे में विस्तार से बताते हुए देव ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग के 2003 के तैनाती नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जहां केंद्रीय तैनाती की जाती है, वहां उनके साथ राज्य पुलिस का एक प्रतिनिधि होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने बंगाल उपचुनाव में जो देखा है, वह यह है कि केंद्रीय बल बंगाल भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेताओं के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं, न कि राज्य पुलिस के साथ।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘... वे (केंद्रीय बल) भाजपा नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रभावित कर रहे हैं। आज हमें भारत के निर्वाचन आयोग के समक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला।’’
टीएमसी ने अपने ज्ञापन में आरोप लगाया कि सुकांत मजूमदार ने 7 नवंबर को चुनावी तालडांगरा में एक चुनावी रैली के दौरान ‘‘झूठा, अपमानजनक और मानहानिकारक भाषण’’ दिया था और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘मजूमदार ने यह कहकर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और राज्य पुलिस का भी अपमान किया कि पुलिस कर्मियों को अपनी वर्दी पर प्रतीक के स्थान पर जूते जैसे चिह्न लगाने चाहिए।’’
देव ने कहा कि भाजपा राष्ट्रवाद की बात करती है, जबकि उसके नेता राष्ट्रीय प्रतीक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के एक मंत्री राज्य पुलिस से क्या कह रहे हैं? अपना अशोक चिह्न उतारो और वहां एक चप्पल लगाओ। इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी के लिए निर्वाचन आयोग से गंभीर कार्रवाई की मांग की जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सोमवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो रहा है, इसलिए हम तत्काल कार्रवाई की उम्मीद करते हैं ताकि बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष उपचुनाव हो सके।’’ टीएमसी नेताओं ने अपने ज्ञापन में निर्वाचन आयोग से भाजपा और उसके नेताओं को राज्य पुलिस और टीएमसी के खिलाफ कोई भी "असत्यापित, अपमानजनक और भड़काऊ" बयान देने से बचने के लिए उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने निर्वाचन आयोग से मजूमदार को बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश देने का भी आग्रह किया।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा की छह सीट - सिताई (सुरक्षित), मदारीहाट (सुरक्षित), नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर और तलडांगरा के लिए उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे।
एक अन्य ज्ञापन में, टीएमसी ने उपचुनावों के दौरान केंद्रीय बलों की तैनाती के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने निर्वाचन आयोग के 2023 के चुनावों में बल तैनाती पर नियमावली की धारा 8.5 की उपधारा सी का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है: ‘‘प्रत्येक सीएपीएफ टीम को उनके आने के समय से लेकर चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक स्थानीय पुलिस का एक प्रतिनिधि प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे इलाके और स्थानीय भाषा के अपने ज्ञान के कारण अपनी ड्यूटी अच्छी तरह से कर सकें।’’
टीएमसी ने कहा, ‘‘यह प्रावधान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सीएपीएफ कर्मियों और स्थानीय राज्य पुलिस के बीच संतुलित बल तैनाती और समन्वय के महत्व को रेखांकित करता है।’’
टीएमसी ने आरोप लगाया, ‘‘हालांकि, यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि सीएपीएफ कर्मी राज्य पुलिस की मौजूदगी के बिना अकेले अपने राजनीतिक आकाओं (भाजपा) के इशारे पर विभिन्न अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं।’’
इसने उपचुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में तैनात सीएपीएफ और राज्य पुलिस कर्मियों के वर्तमान अनुपात और चुनावी प्रक्रिया के दौरान सीएपीएफ और राज्य पुलिस कर्मियों को सौंपे गए विशिष्ट कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को जानना चाहा।
टीएमसी ने कहा, ‘‘क्या सीएपीएफ कर्मियों का कथित कृत्य ईसीआई द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप है? निर्धारित दिशा-निर्देशों से किसी भी विचलन के लिए कानूनी परिणाम क्या होंगे, खासकर ऐसे परिदृश्यों में जब ऐसे विचलन से चुनावों की निष्पक्षता और शुचिता से समझौता हो सकता है?’’
पार्टी ने कहा, ‘‘इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, हम आयोग से मामले का तत्काल संज्ञान लेने और तैनाती प्रोटोकॉल पर स्पष्टता प्रदान करने का आग्रह करते हैं। हम आपकी त्वरित प्रतिक्रिया और चुनावों की शुचिता को बनाए रखने के लिए किसी भी आवश्यक सुधारात्मक उपाय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’
भाषा अमित