नेताजी की अस्थियां 23 जनवरी से पहले भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
अमित वैभव
- 09 Nov 2024, 08:05 PM
- Updated: 08:05 PM
कोलकाता, नौ नवंबर (भाषा) नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने अगले साल 23 जनवरी को नेताजी की जयंती से पहले जापान के रेंकोजी मंदिर से महान स्वतंत्रता सेनानी की ‘अस्थियों’ को भारत लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया।
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि यह नेताजी का ‘‘बहुत बड़ा अपमान’’ है कि उनकी ‘अस्थियां’ अभी भी जापान के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। चंद्र बोस इससे पहले भी मोदी से इसी तरह की मांग कर चुके हैं और इस तरह का पिछला अनुरोध 17 अगस्त को किया गया था। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में नेताजी के सम्मान में एक स्मारक बनाने की भी मांग की।
उन्होंने प्रधानमंत्री को भेजे एक पत्र में कहा, ‘‘नेताजी की अस्थियां अभी भी जापान के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। नेताजी स्वतंत्र भारत लौटना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके, क्योंकि उन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए 18 अगस्त, 1945 को अपने प्राण न्योछावर कर दिये थे।’’
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘यह बहुत अपमानजनक है कि उनकी अस्थियां विदेशी धरती पर हैं। यह अत्यंत जरूरी है कि नेताजी की अस्थियां 23 जनवरी तक भारत वापस लायी जाएं और दिल्ली में कर्तव्य पथ पर उनके सम्मान में एक स्मारक बनाया जाए।’’
पत्र की एक प्रति मीडिया को उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सराहनीय है कि आपके (प्रधानमंत्री) सक्षम नेतृत्व में भारत सरकार ने नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की पहल की। सभी फाइल (10 जांच-राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय) के जारी होने के बाद, यह स्पष्ट है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को हुई थी।’’
बोस ने पत्र में कहा, ‘‘इसलिए यह जरूरी है कि भारत सरकार की ओर से एक अंतिम बयान जारी किया जाए, ताकि उनके बारे में झूठी कहानियों पर विराम लग सके।’’
बोस ने कहा कि 1956 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने आजाद हिंद फौज के अनुभवी जनरल शाह नवाज खान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एक जांच समिति गठित की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार, ताइवान में हुई दुर्घटना और उसके कुछ घंटे बाद नेताजी की मृत्यु के ग्यारह प्रत्यक्ष गवाहों सहित विस्तृत जानकारी आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज की गई थी। यह उल्लेखनीय है कि विमान के सह-यात्रियों, रनवे के पास जमीन पर मौजूद जापानी सैन्य कर्मियों और अस्पताल में जापानी और ताइवान के चिकित्सा कर्मचारियों के प्रत्यक्ष विवरण होने चाहिए थे।’’
भाषा अमित