पितृसत्ता अगर लड़कियों को रोकती तो इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कैसे बनीं: निर्मला सीतारमण
धीरज माधव
- 09 Nov 2024, 05:45 PM
- Updated: 05:45 PM
(तस्वीरों के साथ)
बेंगलुरु, नौ नवंबर (भाषा) केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सवाल किया है कि अगर पितृसत्ता भारत में महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक रही होती तो इंदिरा गांधी कैसे प्रधानमंत्री बन सकती थीं?
सीतारमण ने शनिवार को यहां सीएमएस बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों से मुलाकात की और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों तथा युवाओं के लिए शुरू की गईं सरकारी योजनाओं पर चर्चा की जिनमें 21 से 24 वर्ष आयु वर्ग के ‘बेरोजगार युवाओं’ के लिए एक करोड़ प्रशिक्षु भत्ता (इंटर्नशिप) की योजना भी शामिल है।
महिला सशक्तीकरण के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सीतारमण ने कहा कि पितृसत्ता एक अवधारणा है जिसका आविष्कार वामपंथियों ने किया है।
उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं को सलाह दी, ‘‘आप शानदार शब्दावली के बहकावे में न आएं। यदि आप अपने लिए खड़ी होंगी और तार्किक ढंग से बात करेंगी, तो पितृसत्ता आपको अपने सपने पूरे करने से नहीं रोकेगी।’’
सीतारमण ने हालांकि स्वीकार किया कि महिलाओं को पर्याप्त सहूलियत नहीं मिल पाती और उन्हें और सहूलियतों की जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री ने भारत में नवोन्मेषकों के लिए संभावनाओं के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार नवोन्मेषकों के लिए अनुकूल महौल बना रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल नीति बनाकर नवोन्मेष्कों का समर्थन नहीं कर रही हैं।’’ बल्कि भारत सरकार सुनिश्चित कर रही है कि इन नवोन्मेषकों द्वारा किए गए नवोन्मेष के लिए बाजार भी मिले।
उन्होंने इस संदर्भ में उदाहरण के तौर पर एमएसएमई के लिए उपलब्ध सहायता तंत्र का हवाला दिया। उनके अनुसार, सरकारी खरीद में उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार की 40 प्रतिशत खरीद एमएसएमई से हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि आज भारत में दो लाख से अधिक स्टार्टअप हैं और 130 से अधिक यूनिकॉर्न बन चुके हैं। अवसर बहुत अधिक हैं, लेकिन उनका पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।’’
सीतारमण ने कहा कि इसी तरह का डिजिटल बैंकिंग बदलाव है जो भारत में हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि जन धन योजना से आम लोगों के लिए अवसर पैदा किये गए।
केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा, ‘‘डिजिटल नेटवर्क का विस्तार करने के लिए भारत के दृष्टिकोण को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जबकि कई अन्य देश निजी खिलाड़ियों के माध्यम से आगे बढ़े, जिसके परिणामस्वरूप कहीं-कहीं नाममात्र शुल्क लगे। इसके कारण, यहां तक कि छोटे स्तर के उपयोगकर्ता भी बिना भुगतान किए डिजिटल बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं और भविष्य में यह और विकसित ही होगा।’’
भाषा धीरज