बीएचयू परिसर में चंदन के सात पेड़ समेत 33 पेड़ अवैध तरीके से काटे गए : डीएफओ ने एनजीटी को बताया
गोला माधव
- 09 Nov 2024, 04:40 PM
- Updated: 04:40 PM
नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) वाराणसी के मंडलीय वन अधिकारी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर के अंदर 26 अन्य प्रकार के पेड़ों के साथ चंदन के सात पेड़ों को ‘‘अवैध रूप से’’ काट दिया गया।
मंडलीय वन अधिकारी (डीएफओ) ने शुक्रवार को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किए 31 अक्टूबर के जवाब में कहा कि वन विभाग के अधिकारियों ने पाया कि 1,300 एकड़ में फैले परिसर में 161 पेड़ों को काट दिया गया जबकि 135 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गयी थी।
बीएचयू में अवैध तरीके से पेड़ों को काटे जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए 31 जुलाई को एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय तथा डीएफओ की एक संयुक्त समिति से एक रिपोर्ट मांगी थी।
जवाब में कहा गया है, ‘‘विश्वविद्यालय ने वन विभाग की अनुमति के बिना 26 अन्य प्रकार के पेड़ काट दिए और यह 15 अक्टूबर 2024 को लिखे एक पत्र के जरिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय के महानिरीक्षक के संज्ञान में लाया गया।’’
जवाब के अनुसार, विश्वविद्यालय ने चंदन के सात पेड़ों को भी ‘‘अवैध’’ तरीके से काट दिया जो पेड़ों की सबसे महंगी प्रजातियों में से एक है।
इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय को जिन 135 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गयी थी, उसके एवज में प्राधिकारियों ने 1,630 पौधे लगाए।
पत्र में कहा गया है, ‘‘जब वन अधिकारियों के दल ने विश्वविद्यालय प्रशासन से चंदन के पेड़ों के बारे में पूछा तो उसे सूचित किया गया कि उन्हें 13 अक्टूबर को चुरा लिया गया और सारी लकड़ी गायब है।’’
वाराणसी के लंका पुलिस थाने में विश्वविद्यालय के सहायक सुरक्षा अधिकारी द्वारा दर्ज करायी शिकायत पर ‘‘कीमती वृक्षों’’ की चोरी के बारे में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी। हालांकि, शिकायत में चंदन के पेड़ों का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘सुरक्षाकर्मियों को विश्वविद्यालय में उक्त स्थान पर 24 घंटे तैनात किया जाता है और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं तथा किसी भी सामान को बाहर ले जाए जाने से रोकने के लिए हर प्रवेश द्वार पर सुरक्षा व्यवस्था की गयी है।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘फिर भी चोरी की यह घटना संदिग्ध है क्योंकि चंदन के इन पेड़ों को काटा गया और सारी लकड़ी रात भर में गायब कर दी गयी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दोषियों को पकड़ने और कीमती लकड़ी बरामद करने के लिए कोई उचित प्रयास नहीं किया।’’
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