टाटा भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे : प्रधानमंत्री मोदी
गोला नेत्रपाल
- 09 Nov 2024, 11:45 AM
- Updated: 11:45 AM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को विश्वसनीयता, उत्कृष्टता और बेहतरीन सेवा के प्रति प्रतिबद्धता वाला भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं का प्रतीक बताया।
रतन टाटा का पिछले महीने आज ही के दिन निधन हो गया था।
टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने लिखा कि उनकी कमी न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में महसूस की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने अपनी वेबसाइट पर ‘श्री रतन टाटा को श्रद्धांजलि’ नामक लेख में कहा कि टाटा आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। उन्होंने कहा कि भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।
उन्होंने कहा कि शहरों, कस्बों से लेकर गांवों तक समाज के हर वर्ग के लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई पेशेवर हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है।
मोदी ने कई स्टार्टअप समेत पर्यावरण तथा समाज सेवा के क्षेत्रों में टाटा के निवेश का हवाला देते हुए कहा कि पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग और समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टाटा ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहां व्यापार अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे और जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण एवं खुशी के आधार पर किया जाए।
उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे, जो याद दिलाते हैं कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा न किया जा सके। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने सभी को सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।
मोदी ने कहा कि दूसरों के लिए वह भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे तथा विश्वसनीयता, उत्कृष्टता और बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह दुनियाभर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नयी ऊंचाइयों पर पहुंचा।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री ने टाटा द्वारा भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश का उल्लेख करते हुए कहा कि दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था।
मोदी ने कहा, ‘‘टाटा ने युवा उद्यमियों की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा और साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने में उनकी क्षमता को पहचाना। भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में नवोन्मेष और उद्यमिता की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।’’
मोदी ने कहा कि टाटा ने उत्कृष्टता पर जोर देते हुए भारतीय उद्यमों को वैश्विक मानक स्थापित करने का रास्ता दिखाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह दूरदृष्टि देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगी और भारत विश्वस्तरीय गुणवत्ता के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री ने पशुओं के प्रति टाटा के प्रेम और करुणा भाव को भी याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘रतन टाटा का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि नेतृत्व का आकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर वर्ग की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।’’
टाटा की देशभक्ति को सलाम करते हुए मोदी ने कहा कि यह संकट के समय में सबसे अधिक चमकी। उन्होंने कहा कि 26/11 आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था।
उन्होंने कहा कि टाटा के इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि भारत रुकेगा नहीं, भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।
टाटा के साथ मधुर व्यक्तिगत संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन दोनों ने गुजरात में मिलकर काम किया किया, जहां टाटा ने भारी निवेश किया।
मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
मोदी ने अपने तथा स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज द्वारा वड़ोदरा में एक विमान निर्माण फैक्टरी का उद्घाटन किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि श्री रतन टाटा की कमी मुझे बहुत खलती है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘मैं रतन टाटा को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूं, वह अकसर मुझे विभिन्न मुद्दों पर पत्र लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई संदेश भेजना हो।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र में आने के बाद भी उनकी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और टाटा राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे।
मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के प्रति टाटा का उत्साह विशेष रूप से उनके दिल को छू गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अब भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।’’
उन्होंने कहा कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था जो टाटा के दिल के करीब था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी, जहां व्यापार अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए।’’
भाषा गोला