शिवसेना(यूबीटी) का चुनाव चिह्न ‘मशाल’ घरों को जलाने, विभाजन पैदा करने का माध्यम: शिंदे
सुभाष पवनेश
- 08 Nov 2024, 10:15 PM
- Updated: 10:15 PM
छत्रपति संभाजीनगर, आठ नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को शिवसेना(यूबीटी) पर उसके चुनाव चिह्न ‘जलती हुई मशाल’ को लेकर निशाना साधा और कहा कि यह घरों में आग लगाने और समुदायों के बीच दरार पैदा करने का माध्यम है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो लोग चांदी के चम्मच के साथ पैदा हुए हैं, वे लाडकी बहिन योजना के तहत पात्र महिलाओं को दी जा रही 1,500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता का महत्व नहीं समझेंगे।
शिंदे अपनी पार्टी शिवसेना के उम्मीदवार और स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए धाराशिव जिले के परांदा में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष ने पहले कहा था कि हम राज्य में महिलाओं को जो पैसा (लाडकी बहिन योजना के तहत दिए जाने वाले 1,500 रुपये) दे रहे हैं, वह रिश्वत है। जो लोग चांदी के चम्मच के साथ पैदा हुए हैं, वे 1,500 रुपये का महत्व नहीं समझेंगे। मैंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि सत्ता मिलने के बाद हम राज्य में महिलाओं और बुजुर्गों को वित्तीय सहायता देंगे।’’
परांदा में शिवसेना (यूबीटी) द्वारा पार्टी का उम्मीदवार नहीं उतारे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अपना चुनाव चिह्न मशाल बेच दिया है और इस निर्वाचन क्षेत्र को भी छोड़ दिया है। जलती हुई मशाल, क्रांति का प्रतीक नहीं है, बल्कि घरों में आग लगाने और समुदायों के बीच दरार पैदा करने का माध्यम है।’’
उन्होंने कहा कि वे (शिवसेना-यूबीटी) जानते थे कि वे इस निर्वाचन क्षेत्र को खोने जा रहे हैं, इसलिए उन्होंने यह क्षेत्र किसी और को दे दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस दिन (अविभाजित) शिवसेना ने 'धनुष और बाण' चिह्न के साथ कांग्रेस से हाथ मिलाया, वह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन था। शिवसेना पिछड़ गई और इसलिए हमने विद्रोह कर दिया और तानाजी सावंत मेरे साथ आ गए।’’
अविभाजित शिवसेना के वरिष्ठ नेता शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी और जून 2022 में राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया था। उस समय सत्ता में रही ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार इसके बाद, गिर गई थी।
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