लीक ‘ऑडियो क्लिप’ की प्रमाणिकता का संकेत देने वाली सामग्री पेश करे कूकी संगठन : न्यायालय
संतोष रंजन
- 08 Nov 2024, 09:52 PM
- Updated: 09:52 PM
नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक कुकी संगठन को निर्देश दिया कि वह लीक किये गये उन ‘ऑडियो क्लिप’ की प्रमाणिकता का संकेत देने वाली सामग्री पेश करे जिनके आधार पर उसने अपनी याचिका में जातीय हिंसा में मणिपुर के मुख्यमंत्री की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच कराने का अनुरोध किया है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी कहा कि संवैधानिक न्यायालय के रूप में उसका कर्तव्य है और वह चीजों को छिपाने के किसी भी प्रयास की सराहना नहीं करता है।
इसने ‘कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट’ (केओएचयूआर) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण से ‘ऑडियो क्लिप’ की विश्वसनीयता दिखाने के लिए सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘इससे पहले कि अदालत ‘ऑडियो क्लिप’ के आधार पर दी गई दलीलों पर विचार करे, हम याचिकाकर्ता को क्लिप की प्रामाणिकता का संकेत देने वाली सामग्री इस अदालत के समक्ष दाखिल करने की अनुमति देना उचित समझते हैं।’’
शुरुआत में भूषण ने कहा कि रिकॉर्ड की गई बातचीत प्रथम दृष्टया ‘कुकी जो’ समुदाय के खिलाफ हिंसा में राज्य मशीनरी की मिलीभगत और भागीदारी को दर्शाती है।
उन्होंने दावा किया कि क्लिप में ‘परेशान करने वाली बातचीत’ थी और मुख्यमंत्री को हिंसा भड़काने और हमलावरों की रक्षा करते हुए सुना जा सकता था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने न केवल वहां हिंसा को बढ़ावा दिया, बल्कि हथियार और गोला-बारूद लूटने की भी अनुमति दी।
राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि संगठन को मणिपुर उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी याचिका का विरोध किया और कहा कि राज्य सरकार को शांति बहाल करने की छूट दी जानी चाहिए।
मेहता ने कहा, ‘‘हम जमीनी स्थिति नहीं जानते हैं। हमारे पास एक छिद्रयुक्त सीमा है। हमारे पास सीमा पार से सामग्री आती है। श्रीमान तो एक ‘आइवरी टॉवर’ में बैठे हैं।’’
पीठ ने इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा, ''हम आइवरी टावर में नहीं रह रहे हैं। हम आइवरी टावर में नहीं बैठे हैं इसलिए याचिका खारिज नहीं की गई। हम यह भी जानते हैं कि मणिपुर में क्या हो रहा है।’’
मेहता ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी और कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल अपमानजनक अर्थ में नहीं किया गया था।
भाषा संतोष