जांच समोसे के बारे में नहीं बल्कि अधिकारियों के ‘खराब आचरण’ के सिलसिले में थी: सुक्खू
राजकुमार देवेंद्र
- 08 Nov 2024, 07:48 PM
- Updated: 07:48 PM
नयी दिल्ली/शिमला, आठ नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के बजाय उनके स्टॉफ को ‘समोसे’ परोस दिये जाने से उत्पन्न विवाद के एक दिन बाद शुक्रवार को सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जांच समोसे के बारे में नहीं थी जैसा कि मीडिया ने पेश किया है, बल्कि यह अधिकारियों के ‘खराब आचरण’ का पता लगाने के लिए थी।
सुक्खू ने इस मुद्दे को लेकर उन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमले को भी ‘बचकाना’ करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 40 सीट जीतने के बाद से ही भाजपा कांग्रेस सरकार को बदनाम करने का अभियान चला रही है।
उन्होंने नई दिल्ली में संवादददाताओं से कहा, ‘‘यह जांच अधिकारियों के खराब आचरण के बारे में थी लेकिन मीडिया ने इसे समोसे की सीआईडी जांच का रंग दे दिया। पुलिस महानिदेशक पहले ही इस संबंध में स्पष्टीकरण दे चुके हैं।’’
सुक्खू ने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि उनकी सरकार को हटाने में ‘ऑपरेशन लोटस’ के विफल हो जाने के बाद से भाजपा उनकी सरकार को बदनाम करने का अभियान चला रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे को उठाने में भाजपा का व्यवहार बचकाना एवं हास्यास्पद है।’’
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार जाने के बाद से ही भाजपा उनकी सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है और बाद में भी उसे इसमें भी सफलता नहीं मिली।
सुक्खू के लिये लाये गये समोसे और केक उनके बजाय चूक वश उनके सुरक्षाकर्मियों को परोस दिये जाने से विवाद खड़ा हो गया। सीआईडी जांच में इसे “सरकार विरोधी” कृत्य बताया गया।
सीआईडी के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने 21 अक्टूबर की घटना को लेकर कहा कि जब मुख्यमंत्री सीआईडी मुख्यालय के दौरे पर थे तो जिम्मेदार लोगों ने अपने एजेंडे के अनुसार काम किया।
इस बीच हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदेश भाजपा ने कहा राज्य सरकार को हिमाचल प्रदेश के विकास से कोई सरोकार नहीं है और लगता है कि उसका एकमात्र ध्यान ‘मुख्यमंत्री के समोसे’ पर है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार के फैसले देश में चर्चा का विषय बन गए हैं क्योंकि ये बिना सोचे समझे लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब ये फैसले हास्य का विषय बन जाते हैं तो इन्हें बदलने का प्रयास किया जाता है।
ठाकुर ने एक वीडियो बयान में पूछा, ‘‘विपक्ष ने वे समोसे नहीं खाए हैं और जिन्हें समोसे परोसे गए वे सरकार का हिस्सा थे, इसलिए यह कृत्य सरकार विरोधी कैसे हो सकता है?’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीर माना होगा और इसीलिए समोसा प्रकरण की जांच कराई गई।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख सतपाल सत्ती ने कहा, ‘‘इतने छोटे से मामले की जांच कराना और फिर उसे सरकार विरोधी कृत्य बता देना आश्चर्यजनक है। मुझे लगता है कि कांग्रेस सरकार को लोगों की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि उनकी मुख्य चिंता यह है कि उनके समारोहों में समोसे कैसे परोसे जा रहे हैं। यह सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है और हंसी का पात्र बन गई है।’’
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘राज्य सरकार को हिमाचल प्रदेश के विकास से कोई सरोकार नहीं है। लगता है कि उसका एकमात्र ध्यान ‘मुख्यमंत्री के समोसे’ पर है। ’’
यह पूरा विवाद तब उत्पन्न हुआ जब अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) मुख्यालय में 21 अक्टूबर को एक समारोह में भाग लेने गए मुख्यमंत्री को परोसने के लिए लक्कड़ बाजार स्थित एक होटल से समोसे और केक लाया गया था। हालांकि, पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट के अनुसार खाने की चीजें समन्वय की कमी के कारण सुरक्षा कर्मचारियों को परोसी गई थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी ने पुलिस के एक उपनिरीक्षक (एसआई) को मुख्यमंत्री के दौरे के लिए होटल से कुछ खाने-पीने की चीजें लाने को कहा था। उपनिरीक्षक ने बदले में एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) और एक हेड कांस्टेबल को खाने-पीने की चीजें लाने का निर्देश दिया।
एएसआई और हेड कांस्टेबल ने होटल से तीन सीलबंद डिब्बों में अल्पाहार लाकर एसआई को सूचित किया।
पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान में कहा कि जब उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पर्यटन विभाग के कर्मचारियों से पूछा कि क्या तीनों डिब्बों में रखा अल्पाहार मुख्यमंत्री को परोसा जाना था, तो उन्होंने कहा कि ये मेन्यू (खाने-पीने की विवरणिका) में शामिल नहीं थे।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल उस एसआई, जिसने एएसआई और हेड कांस्टेबल को होटल से अल्पाहार लाने का काम सौंपा था, को ही इस बात की जानकारी थी कि तीनों डिब्बे सुक्खू के लिए थे।
जिन महिला निरीक्षक को खाद्य सामग्री (समोसे एवं केक) सौंपी गई थी, उन्होंने किसी वरिष्ठ अधिकारी से पूछे बिना ही अल्पाहार को यांत्रिक परिवहन (एमटी) अनुभाग को भेज दिया।
इस प्रक्रिया में अल्पाहार के तीन डिब्बों का कई लोगों के हाथों में आदान-प्रदान हुआ।
सीआईडी विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि जांच रिपोर्ट में उल्लेखित सभी व्यक्तियों ने ‘‘सीआईडी और सरकार विरोधी तरीके’’ से काम किया है, जिसके कारण ये वस्तुएं अतिविशिष्ट लोगों को नहीं दी जा सकीं।
भाषा
राजकुमार