सेंट स्टीफेंस कॉलेज मामले में अदालती आदेश का पालन करे डीयू: उच्च न्यायालय
दूसरी ओर, कॉलेज ने कहा कि 19 छात्रों का दाखिला नियमों के अनुसार था। जोहेब माधव
- 08 Nov 2024, 04:54 PM
- Updated: 04:54 PM
नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच सीट आवंटन को लेकर कथित विवाद के बीच अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र को कक्षाएं लेने की अनुमति से जुड़े उसके आदेश का पालन अनिवार्य है।
विश्वविद्यालय ने मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला की एक पीठ को बताया कि उसने अदालत के 28 अक्टूबर के उस आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी, जिसमें छात्र को अगले आदेश तक कक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी।
पीठ ने कहा, “यदि अवमानना करने वालों को लगता है कि वे कानून से ऊपर हैं, तो हम उन्हें बताएंगे कि ऐसा नहीं है.. हम उन्हें यहां बुलाकर उनके आचरण के बारे में पूछेंगे। हमारा आदेश सही या गलत हो सकता है, लेकिन आपको इसका पालन करना होगा। इस अदालत का मानना है कि जब तक आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक उसका अनुपालन करना होगा।”
न्यायिक आदेश का "जानबूझकर अनुपालन न करने" के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका दायर की गई थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील ने अदालत को 28 अक्टूबर के फैसले का पालन करने का आश्वासन दिया। अदालत ने बाद में उनके बयान को स्वीकार कर लिया।
अवमानना याचिका 11 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की गई है, उसी दिन आदेश वापस लेने की डीयू की याचिका पर भी सुनवाई होगी।
खंडपीठ ने दाखिले से इनकार करने के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ कॉलेज और छात्र की अपील पर सुनवाई करते हुए अक्टूबर में आदेश पारित किया था। छात्र को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देते हुए, खंडपीठ ने ऐसी सीटों का और आवंटन नहीं करने का आदेश दिया था।
अदालत ने कहा, “तथ्य यह है कि फैसले में एकल न्यायाधीश ने पाया है कि 18 छात्र सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिले के हकदार थे और अपीलकर्ता छात्र द्वारा चुने गए संयोजन के हिसाब से एक सीट खाली है, लिहाजा अदालत, अंतरिम रूप से, उसे अगले आदेश तक कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देती है।”
उच्च न्यायालय ने कॉलेज को अगले आदेश तक अल्पसंख्यक कोटा श्रेणी के तहत कोई सीट आवंटन नहीं करने को कहा था।
अदालत ने एकल न्यायाधीश के 14 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की थी, जिसमें कहा गया था कि 19 में से 18 छात्र योग्यता के आधार पर कॉलेज में दाखिला पाने के हकदार थे।
कॉलेज ने एकल न्यायाधीश के समक्ष डीयू को अल्पसंख्यक समुदाय के सभी उम्मीदवारों के दाखिले को मंजूरी देने के लिए भेजी गई सूची को मंजूरी देने और अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की थी।
अपील में 19वें छात्र ने दावा किया कि एक अन्य छात्र के दाखिला नहीं लेने के बाद एक सीट खाली हो गई थी। इसलिए छात्र ने बैचलर ऑफ आर्ट्स पाठ्यक्रम में प्रवेश मांगा।
डीयू ने अपीलों पर आपत्ति जताई और कहा कि कॉलेज को इस तरह से सीटों की उपलब्धता सूची बदलकर सीटों को "जमा" करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
एकल न्यायाधीश के समक्ष विश्वविद्यालय ने कॉलेज पर सीटों की उपलब्धता सूची का पालन न करके "अपनी इच्छा और पसंद" के अनुसार सीटें आवंटित करने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, कॉलेज ने कहा कि 19 छात्रों का दाखिला नियमों के अनुसार था। भाषा जोहेब