घरेलू कार्य के लिये पुलिस कर्मियों को तैनात करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें : अदालत
प्रशांत रंजन
- 08 Nov 2024, 03:30 PM
- Updated: 03:30 PM
चेन्नई, आठ नवंबर (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने सरकार के गृह, निषेध एवं आबकारी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि वे विस्तृत जांच कर उन जेल अधिकारियों के खिलाफ सभी उचित कार्रवाई शुरू करें, जिन्होंने राज्य भर की सभी जेलों में अपने आवासीय या व्यक्तिगत कार्य के लिए वर्दीधारी कर्मियों/लोक सेवकों को तैनात किया है।
अदालत ने आदेश दिया कि जांच या तो पुलिस की सीबीसीआईडी शाखा की सहायता से की जा सकती है या फिर खुफिया शाखा से आवश्यक जानकारी प्राप्त करके की जा सकती है।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति एम. जोतिरमन की पीठ ने हाल ही में एक आदेश में उपरोक्त निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि ऐसी पहचान के आधार पर अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा उचित आदेश पारित कर उन सभी वर्दीधारी कर्मियों को वापस बुलाया जाना चाहिए तथा उन्हें जेल नियमों और लागू सरकारी आदेशों के अनुसार जेल ड्यूटी पर तैनात किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह कार्य अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा तीन सप्ताह के भीतर किया जाना था।
पीठ ने यह आदेश सुजाता द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें प्राधिकारियों को उनके अभ्यावेदन पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
उनके ज्ञापन में कई शिकायतें शामिल थीं, जिनमें जेल अधिकारियों द्वारा वर्दीधारी कर्मियों को उनके आवासीय कार्यों के लिए उपयोग करने के खिलाफ शिकायतें भी शामिल थीं।
पीठ ने कहा कि यह न्यायालय का कर्तव्य है कि वह याद दिलाए कि पुलिस/जेल अधिकारी लोक सेवक हैं और उन्हें करदाताओं के पैसे से अच्छा वेतन दिया जाता है। उनके सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए सरकार द्वारा अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।
पीठ ने कहा कि इस प्रकार उनसे प्रासंगिक नियमों के तहत जो भी लाभ स्वीकार्य हैं, उन्हें प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती है और आधिकारिक पद के दुरुपयोग की स्थिति में, वे अभियोजन तथा कदाचार के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के लिए उत्तरदायी हैं।
भाषा प्रशांत