विपक्षी सांसद वक्फ संबंधी समिति के पांच राज्यों के दौरे का बहिष्कार करेंगे
हक माधव अविनाश
- 07 Nov 2024, 09:21 PM
- Updated: 09:21 PM
कोलकाता/नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल विपक्षी सदस्यों ने समिति के पांच राज्यों के दौरे का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
समिति नौ नवंबर से पांच राज्यों के दौरे की शुरुआत करने वाली है। विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगदम्बिका पाल पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया।
एआईएमआईएम प्रमुख और समिति के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "वक्फ विधेयक संबंधी संयुक्त समिति के अध्यक्ष हाल ही में कुछ स्थानीय मामले को देखने के लिए कर्नाटक गए थे। समिति के पास जांच के अधिकार नहीं हैं, इसका काम केवल विधेयक पर गौर करना है। इसके अलावा अध्यक्ष एकतरफा कार्य नहीं कर सकता और समिति को सामूहिक रूप से कार्य करना होगा।"
उन्होंने कहा, "हमने पहले ही कर्नाटक में एक ‘परामर्श’ आयोजित किया था। हम संसदीय प्रक्रिया से बंधे हैं इसलिए समिति के गठन के बाद से अध्यक्ष के प्रश्नयोग्य आचरण पर स्पष्टीकरण देने की स्थिति में नहीं हैं। मुझे उम्मीद है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समिति के अध्यक्ष के व्यवहार पर ध्यान देंगे।"
तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि जेपीसी के अध्यक्ष पाल ने छह दिनों में गुवाहाटी, भुवनेश्वर, कोलकाता, पटना और लखनऊ में बैठकों का व्यस्त कार्यक्रम तय किया है तथा बीच में रविवार की छुट्टी है।
बनर्जी ने यहां प्रेस क्लब में पार्टी सांसद नदीमुल हक के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय समिति के सभी विपक्षी सदस्यों ने इन दौरे और बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि अध्यक्ष मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।’’
उनका कहना था कि आगे की रणनीति विपक्ष के सदस्य मिलकर तय करेंगे।
बनर्जी ने कहा कि संसदीय समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने पांच नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की थी और समिति के कार्यक्रम को स्थगित करने और जेपीसी की बैठकों के दिनों की संख्या को सप्ताह में दो दिन से घटाकर सप्ताह में एक दिन या एक पखवाड़े में लगातार दो दिन करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने मौखिक रूप से उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और समिति के अध्यक्ष से बात करने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष जिस प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रहे थे वह स्थापित संसदीय मानदंडों का उल्लंघन है।
उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल के सदस्य देश हित में नहीं, बल्कि अपने एजेंडे के अनुसार काम कर रहे हैं।
बनर्जी ने कहा कि सांसदों को अपने क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण काम होते हैं तथा जेपीसी की सप्ताह में दो दिन होने वाली बैठकों का उनके व्यस्त कार्यक्रम पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संपत्ति हितधारकों को पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है, जबकि वक्फ संशोधन विधेयक से कोई सरोकार नहीं रखने वाले संगठनों को बैठकों में बुलाया जा रहा है।’’
संसदीय समिति की बैठकों में अब तक कई बार नोकझोंक हो चुकी है। पिछले महीने समिति की बैठक में बनर्जी ने कांच की बोतल तोड़कर समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की ओर फेंक दी थी। इसके बाद उन्हें समिति की बैठक से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था।
भाषा हक माधव