कांग्रेस अपना आधार खो चुकी, लगातार गिरावट हो रही : सिंधिया
वैभव अविनाश
- 07 Nov 2024, 07:54 PM
- Updated: 07:54 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व का जनता से संपर्क टूट गया है और यह अपना आधार खो चुकी है।
सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ले ली थी।
उन्होंने ‘‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी अपना आधार खो चुकी है। इस बारे में कोई बहस की बात ही नहीं है।’’
सिंधिया से पूछा गया था कि क्या अप्रैल-मई में हुए आम चुनाव में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करने के बाद अब कांग्रेस पार्टी की गति कमजोर पड़ गई है।
केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने उत्तर में कहा, ‘‘मैं आपके साथ बिल्कुल स्पष्ट बात करता हूं कि मेरे पास कांग्रेस पार्टी को लेकर कोई मूल्यांकन नहीं है। मेरा मानना है कि कांग्रेस पार्टी लगातार गिरावट की स्थिति में है और मुझे लगता है कि इसके तीन कारण हैं। मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व का संपर्क टूट चुका है...।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जनता से उसका संपर्क टूट चुका है और मुझे लगता है कि भारत के दृष्टिकोण के संबंध में भी कांग्रेस का संपर्क टूट चुका है। और आप जब इन तीनों विशेषताओं को खो देते हैं तो आप भारत की जनता का विश्वास खो देते हैं और आज कांग्रेस पार्टी का यही हाल है।’’
सिंधिया ने हालांकि कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लेकर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की और कहा कि वह ‘‘किसी एक व्यक्ति को लेकर किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हममें से हर एक को अपना भाग्य और अपनी जगह खुद बनानी होगी, और मुझे लगता है कि जीवन में आप जो करना चाहते हैं, उसकी सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, और मैं भी अपने जीवन में ऐसा करना चाहूंगा।’’
सिंधिया ने कहा कि मानव संसाधन मूल्यांकन निर्णय लेने का एक अति महत्वपूर्ण कारक है जो किसी संस्था की सफलता निर्धारित करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने उन लोगों से नेतृत्व के गुणों को अलग करके देखने की अपनी क्षमता खो दी है, जिनमें ये गुण नहीं हैं।’’
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ‘‘मानव संसाधन का मूल्यांकन किसी भी उद्यम की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले कारकों में से एक है, चाहे वह एक बहुराष्ट्रीय निगम हो, भारत में कोई कंपनी हो, या कोई राजनीतिक दल हो।’’
मार्च 2020 में जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी, तो कहा गया था कि वह पार्टी द्वारा अपने घोषणापत्र के अनुसार मध्यप्रदेश के लोगों से किए गए वादे से मुकरने से दुखी हैं, जिसके कारण उन्हें युवाओं और किसानों की आलोचना का सामना करना पड़ा। राज्य में नेतृत्व की भूमिका के लिए नजरअंदाज किए जाने को भी उनके पार्टी छोड़ने की वजह बताया गया था।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘‘जो लोग आपके उद्यम का हिस्सा होते हैं, उनकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। क्योंकि अंत में वही परिणाम दिलाता है।’’
सिंधिया ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का विश्वास जताते हुए कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव की तरह ही पार्टी को जीत मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है, यह एक ऐसा राज्य है जिससे मैं अत्यंत भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ हूं, क्योंकि मैं मूल रूप से उसी राज्य से आता हूं। मैंने उस राज्य में बहुत समय बिताया है, और मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा निश्चित रूप से इस चुनाव में एक बार फिर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाएगी। इसके परिणामों पर इस महीने की 23 तारीख को आप और मैं बैठकर चर्चा करेंगे।’’
अपने पिता और नौ बार लोकसभा सदस्य रहे माधवराव सिंधिया की 2001 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति में प्रवेश किया था।
सिंधिया से जब उनकी राजनीतिक आकांक्षा विशेष रूप से मध्य प्रदेश को लेकर, के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पिता और दादी विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही सिखा दिया था कि उनका लक्ष्य राजनीति नहीं बल्कि जनसेवा होना चाहिए और राजनीति केवल लक्ष्य को पूरा करने का एक माध्यम होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप इसे उस सीमा में परिभाषित करते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां बैठे हैं या कहां नहीं। मायने यह रखता है कि क्या आप लोगों की सेवा कर रहे हैं? क्या आप उनकी भलाई के लिए काम कर रहे हैं? और यदि यह आपका जुनून है, तो यह किसी भी रूप में सामने आ सकता है। मेरी दादी ने अपने जीवन में, मेरे पिता ने अपने जीवन में, और मैंने अपने जीवन में कभी किसी पद की लालसा नहीं की।’’
हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त करने वाले सिंधिया राजनीति में प्रवेश करने से पहले मॉर्गन स्टेनली में निवेश बैंकर के रूप में काम करते थे।
उन्होंने कहा कि उनके पहले के जीवन और जनसेवा के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती।
सिंधिया ने कहा, ‘‘कोई तुलना ही नहीं है। जनसेवा के क्षेत्र में यदि आप एक भी व्यक्ति के जीवन को छू सकें तो आपकी आत्मा को जो संतोष मिलता है उसकी तुलना किसी भी मूर्त भौतिक चीज से नहीं की जा सकती।’’
केंद्रीय मंत्री से जब पूछा गया कि क्या उनके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अपने बेटे का भविष्य तय करने का उन्हें कोई अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आपका भाग्य आप खुद बनाते हैं। मैं यह नहीं मानता कि चूंकि आप एक अभिभावक हैं, इसलिए आपको यह तय करने का अधिकार है कि आपके बच्चे का भविष्य क्या हो। हर इंसान को अपने कर्म करने होते हैं और उसे अपना रास्ता तय करना होता है। हम माता-पिता के रूप में केवल वही काम कर सकते हैं जो हमें ईश्वर ने सौंपा है, यानी यह सुनिश्चित करना कि हम बच्चों में अच्छे मूल्यों का संचार करें। हम उन्हें दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनाते हैं। हम उन्हें शिक्षित करते हैं और बाकी सब कुछ उन्हें खुद तय करना होता है।’’
भाषा वैभव