देश की अखंडता की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य : मणिपुर के मुख्यमंत्री
शफीक नरेश
- 07 Nov 2024, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
इंफाल, सात नवंबर (भाषा) मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की अखंडता की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है और कोई भी राज्य की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकता।
सितंबर में अमेरिका की यात्रा के दौरान मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा की टिप्पणियों के बारे में एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सिंह की ये टिप्पणी आई।
लालदुहोमा ने कथित तौर पर एक ही नेतृत्व के तहत ‘जो’ लोगों के एकीकरण के लिए समर्थन व्यक्त किया और कहा था, ‘‘भले ही इसका मतलब राष्ट्रीय सीमाओं को पार करना हो।’’
‘जो’ एक ऐसा शब्द है जो सांस्कृतिक और भाषाई समानताएं साझा करने वाले और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों, बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों और म्यांमा के चिन राज्य में रहने वाले संबंधित जनजातियों के विभिन्न समूहों को दर्शाता है।
सिंह ने कहा, ‘‘मैं उन (लालदुहोमा) पर प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं करना चाहता। एक गौरवशाली भारतीय के रूप में, मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में और एक राष्ट्रवादी के रूप में, कोई भी भारत और मणिपुर की अखंडता को नहीं छू सकता। भारत सिर्फ एक देश नहीं है, यह एक बड़ा देश है और हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका रुख स्पष्ट है कि भारत की एकता और अखंडता को हर कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए।
इंफाल में एक स्कूल समारोह में भाग लेने के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं दूसरों के व्यक्तिगत विचारों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मेरा रुख बहुत स्पष्ट है - भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखा जाना चाहिए। भारत को मजबूत रखना हमारा कर्तव्य है और जो कोई भी इसे चुनौती देगा, उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य समावेशन की आड़ में अवैध प्रवासियों को स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोग भावी पीढ़ियों की बेहतरी के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए।
एक स्कूल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘मणिपुर संक्रमण काल में है। कई लोगों ने कठिनाइयों का सामना किया है, हजारों लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में रह रहे हैं। कई बहुमूल्य जानें चली गई हैं। भावी पीढ़ी की रक्षा के लिए राजनेताओं से दृढ़ रुख और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।’’
भाषा शफीक