सेबी ने म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के लिए निवेश नियमों को नरम करने का प्रस्ताव रखा
प्रेम अजय
- 07 Nov 2024, 07:32 PM
- Updated: 07:32 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के नामित कर्मचारियों के लिए ‘जोखिम एवं जिम्मेदारी के बीच संबंध’ संबंधी नियम को आसान बनाने के लिए बृहस्पतिवार को कुछ प्रस्ताव रखे।
ये प्रस्ताव म्यूचुअल फंड (एमएफ) कंपनियों के कर्मचारियों के लिए अनिवार्य निवेश प्रतिशत को कम करने, इसे वेतन श्रेणियों के आधार पर लागू करने और न्यूनतम निवेश गणना से ईएसओपी जैसे घटकों को बाहर करने से संबंधित हैं।
इन प्रस्तावों का उद्देश्य खासकर कम वेतन वाले और परिचालन भूमिकाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए नियम अनुपालन को आसान बनाना है।
फिलहाल मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) और कोष प्रबंधक जैसे पदों पर कार्यरत एमएफ कर्मचारियों को अपने वार्षिक वेतन एवं भत्तों का 20 प्रतिशत उन म्यूचुअल फंड में निवेश करना होता है जिनका वे प्रबंधन करते हैं। यह राशि तीन साल के लिए ‘लॉक-इन’ रहती है।
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में कहा है कि न्यूनतम अनिवार्य निवेश राशि को 20 प्रतिशत से घटाया जा सकता है और कर्मचारियों के कुल वेतन के आधार पर स्लैब के हिसाब से इसे लागू किया जा सकता है।
नियामक ने सुझाव दिया कि 25 लाख रुपये से कम आय वाले कर्मचारियों के लिए कोई अनिवार्य निवेश नहीं होगा जबकि 25-50 लाख रुपये के बीच वेतन वाले 10 प्रतिशत, 50 लाख रुपये-एक करोड़ रुपये वाले 14 प्रतिशत और एक करोड़ रुपये से अधिक वेतन वाले 18 प्रतिशत निवेश करेंगे।
इसके अलावा नियामक ने मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) और बिक्री प्रमुख जैसे गैर-निवेश कर्मचारियों के लिए अनिवार्य निवेश शर्तों को शिथिल करने और फंड कंपनियों के भीतर प्रत्येक कर्मचारी की भूमिका एवं गतिविधियों के आधार पर लचीलेपन की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा है।
मौजूदा नियमों के तहत म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करने वाली कंपनी के सभी नामित कर्मचारियों के लिए निवेश का समान प्रतिशत आवश्यक है।
इसके साथ ही सेबी ने कर्मचारी शेयर विकल्प योजना (ईएसओपी) जैसे गैर-नकद घटकों को न्यूनतम निवेश गणना से बाहर करने का सुझाव दिया है।
इसके अलावा सेबी ने प्रतिबंधों के अधीन कर्मचारियों के इस्तीफा देने पर यूनिट को समय से पहले जारी करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है।
मौजूदा नियमों के तहत यदि कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु से पहले नौकरी छोड़ देते हैं तो उन्हें आवंटित यूनिट लॉक हो जाती हैं। सेवानिवृत्त होने की स्थिति में क्लोज-एंडेड योजनाओं को छोड़कर लॉक-इन हटा दिया जाता है।
भाषा प्रेम