पंजाब के किसानों ने पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना करने के केंद्र के कदम की निंदा की
आशीष अविनाश
- 07 Nov 2024, 07:17 PM
- Updated: 07:17 PM
चंडीगढ़, सात नवंबर (भाषा) पंजाब में किसान संगठनों ने पराली जलाने पर जुर्माना बढ़ाने के केंद्र के कदम की बृहस्पतिवार को कड़ी निंदा की और सवाल किया कि सरकार उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी क्यों नहीं मुहैया करा रही है।
केंद्र ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर पराली जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माना दोगुना कर दिया है, जिसके तहत पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों के लिए जुर्माना 30,000 रुपये तक हो गया है।
इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के सख्त रुख के बाद बुधवार को प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को अब 2,500 रुपये की जगह 5,000 रुपये का पर्यावरण मुआवजा देना होगा। वहीं, दो से पांच एकड़ के बीच भूमि वाले किसानों पर 5,000 रुपये के बजाय 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
केंद्र सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसान संगठनों ने कहा कि किसान कभी भी पराली को जलाना नहीं चाहते, लेकिन जरूरी उपकरणों के अभाव में उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण के लिए हमेशा किसानों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है। उन्होंने सरकार से पूछा कि पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले उद्योगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
पंजाब में 15 सितंबर से छह नवंबर के दौरान पराली जलाने के 5,041 मामले दर्ज किए गए हैं, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने किसानों पर जुर्माना बढ़ाने के ‘‘किसान विरोधी’’ कदम के लिए केंद्र की आलोचना की। कोकरीकलां ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम इस फैसले की कड़ी निंदा करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस तरह की ‘‘रणनीति’’ के जरिए किसानों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कोकरीकलां ने कहा कि जिन किसानों के पास पराली प्रबंधन के उपकरण है, वे पराली नहीं जलाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि उनके पास जरूरी उपकरण नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वे पराली जला देते हैं।’’
जुर्माने की राशि दोगुनी करने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए कोकरीकलां ने कहा, ‘‘अगर वे इसे 10 गुना भी बढ़ा दें, तो भी हम इसे नहीं चुकाएंगे।’’
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र द्वारा जुर्माना बढ़ाने का कदम बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा कि किसानों को केवल 30 प्रतिशत फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी ही उपलब्ध कराई गई है।
पंधेर ने कहा कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए हमेशा किसानों को दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण में उद्योग की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है और परिवहन का साधन 25 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी वायु प्रदूषण की बात आती है, तो केवल किसान ही ध्यान में आते हैं और उन्हें इसके लिए दोषी ठहराया जाता है।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को दंडित करने से समस्या हल नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस कदम का विरोध करेंगे।’’ पंधेर ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार डीएपी खाद की कमी की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
भारतीय किसान यूनियन (कादियां) के हरमीत सिंह ने कहा कि छोटे और गरीब किसान फसल अवशेष प्रबंधन मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ये मशीनें हर किसान तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि जुर्माना बढ़ाना इस मुद्दे का समाधान नहीं है।
भाषा आशीष