ईडी ने अमेजन, फ्लिपकार्ट के लिए काम करने वाले विक्रेताओं के 19 परिसरों पर छापेमारी की
आशीष अविनाश
- 07 Nov 2024, 07:06 PM
- Updated: 07:06 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी निवेश ‘‘उल्लंघन’’ जांच के तहत अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए काम करने वाले कुछ ‘‘मुख्य विक्रेताओं’’ के परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कार्रवाई के तहत दिल्ली, गुरुग्राम और पंचकूला (हरियाणा), हैदराबाद (तेलंगाना) और बेंगलुरु (कर्नाटक) में स्थित इन ‘‘तरजीही’’ विक्रेताओं के कुल 19 परिसरों की तलाशी ली गई।
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत दो बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतों पर जांच शुरू की है। आरोप लगाया गया है कि ये कंपनियां ‘‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं या सेवाओं के बिक्री मूल्य को प्रभावित करके और सभी विक्रेताओं को समान अवसर प्रदान नहीं करके भारत के एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।’’
पहले भी ऐसी खबरें आई हैं कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) भी ई-कॉमर्स कंपनियों के कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीकों की जांच कर रहा है।
सीसीआई बाजार में सभी क्षेत्रों में निष्पक्ष व्यापार तौर-तरीकों को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) और खुदरा मोबाइल विक्रेताओं के संगठन एआईएमआरए ने भी कुछ समय पहले सीसीआई में याचिका दायर कर फ्लिपकार्ट और अमेजन के परिचालन को तत्काल निलंबित करने की मांग की थी, क्योंकि उनका आरोप था कि ये कंपनियां उत्पादों पर भारी छूट देकर कारोबार को प्रभावित करती हैं।
उन्होंने कहा कि बिक्री के इन तौर तरीकों के कारण मोबाइल फोन का ऐसा बाजार तैयार हो रहा है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, क्योंकि इस तरह के बाजार में शामिल कंपनियां करों की चोरी करती हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में यही चिंता जताई थी और उन्होंने भारत में एक अरब डॉलर के निवेश की अमेजन की घोषणा पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी खुदरा विक्रेता कंपनी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ी सेवा नहीं कर रही है, बल्कि देश में उसे जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कर रही है।
उन्होंने अगस्त में कहा था कि भारत में उनका भारी घाटा हेरफेर कर कम कीमत रखकर बाजार पर एकाधिकार बनाने का संकेत देता है, जो देश के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे करोड़ों छोटे खुदरा विक्रेता प्रभावित होते हैं।
मंत्री ने कहा था कि देश में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन खुदरा व्यापार के साथ, ‘‘क्या हम ई-कॉमर्स के इस व्यापक विकास के साथ भारी सामाजिक व्यवधान पैदा करने जा रहे हैं।’’
भाषा आशीष