लांसेट अध्ययन में वायु प्रदूषण से मौतों का संबंध पूर्णतः सटीक नहीं: सीपीसीबी ने एनजीटी से कहा
प्रशांत पवनेश
- 07 Nov 2024, 05:03 PM
- Updated: 05:03 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में लांसेट अध्ययन के निष्कर्षों का विरोध किया है। इस अध्ययन में दावा किया गया था कि खराब वायु गुणवत्ता ने 10 प्रमुख भारतीय शहरों में मृत्यु दर को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
अध्ययन के आंकड़ों को “सटीक” न बताते हुए सीपीसीबी ने कहा कि मौतों के लिए अकेले प्रदूषण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है और इसमें प्रयुक्त उपग्रह आंकड़े और प्रतिरूपण की तकनीक जरूरी नहीं कि “वास्तविक भारतीय परिदृश्य” का प्रतिनिधित्व करें।
एनजीटी ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित अध्ययन का स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से अधिक वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष लगभग 33,000 मौत होती हैं।
अध्ययन में दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शहरों को शामिल किया गया।
सीपीसीबी ने चार नवंबर को दिए अपने जवाब में कहा कि अध्ययन में 2008 से 2020 के बीच देश भर में एक वर्ग किलोमीटर स्थानिक सूक्ष्मकणों पर दैनिक औसत पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 सांद्रता का विश्लेषण किया गया है। इसमें 10 शहरों के प्रत्येक नगर निगम से प्राप्त मृत्यु दर के ब्यौरे का भी उपयोग किया गया।
सीपीसीबी की रिपोर्ट में दावा किया गया, “अध्ययन का निष्कर्ष है कि भारत में पीएम 2.5 के अल्पकालिक संपर्क से मृत्यु का उच्च जोखिम जुड़ा हुआ है, यहां तक कि वर्तमान भारतीय पीएम 2.5 मानक से कम सांद्रता पर भी। स्थानीय स्तर पर उत्पन्न वायु प्रदूषकों के लिए ये संबंध अधिक मजबूत थे। हालांकि, अध्ययन की अपनी सीमाएं हैं...।”
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, “विभिन्न राज्यों और शहरों में मृत्यु पंजीकरण प्रणालियों की क्षमता में भिन्नता” और “रोग कोड के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण” के रूप में “कारण-विशिष्ट मृत्यु दर” का विश्लेषण अधिकांश शहरों के लिए लेखकों द्वारा नहीं किया गया था।
उसने दावा किया, “मृत्यु के कारण संबंधी आंकड़ों के अभाव में, आंकड़ों का कई बार अनुमान लगाया जाता है। इसलिए, मौतों को केवल वायु प्रदूषण के कारण नहीं माना जा सकता और इससे सही तुलना नहीं हो सकती।”
पीएम 2.5 और अन्य प्रदूषकों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और संबंधित बीमारियों को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक है।
इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य कई कारकों से प्रभावित होता है, जिनमें खान-पान की आदतें, व्यावसायिक आदतें, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, चिकित्सा इतिहास, प्रतिरक्षा और आनुवंशिकता शामिल हैं।
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