सिद्धरमैया ने कुछ गलत नहीं किया, कानून का सम्मान करते हुए लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए:शिवकुमार
देवेंद्र पारुल
- 06 Nov 2024, 07:43 PM
- Updated: 07:43 PM
(फाइल फोटो के साथ)
बेंगलुरु, छह नवंबर (भाषा) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया कानून का सम्मान करते हुए मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में पूछताछ के लिए लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने कुछ भी गलत नहीं किया है।
मुख्यमंत्री को लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोपी नंबर एक के तौर पर नामजद किया गया है और वह एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 भूखंडों का आवंटन किए जाने में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार को सिद्धरमैया से लगभग दो घंटे तक पूछताछ की।
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने (सिद्धरमैया) हमेशा कानून का सम्मान किया है और उसका पालन किया है। विधानसभा उपचुनाव के लिए हमारे पूर्व नियोजित प्रचार अभियान के बावजूद मुख्यमंत्री इस अभियान को छोड़कर लोकायुक्त पुलिस के सामने पेश हुए, क्योंकि उन्हें नोटिस भेजा गया था।’’
शिवकुमार ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम छूट या एक सप्ताह का समय मांग सकते थे, लेकिन सत्ता के किसी भी दुरुपयोग से बचने और कानून का सम्मान करने के इरादे से मुख्यमंत्री लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने कुछ भी गलत नहीं किया है। क्या उन्होंने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं या कोई मंजूरी दी है? कुछ भी नहीं, लेकिन फिर भी उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया और वह जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हुए।’’
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सिद्धरमैया एक समन के जवाब में लोकायुक्त पुलिस के सामने पेश हुए और लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) टीजे उदेश के नेतृत्व वाली टीम द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए।
लोकायुक्त पुलिस ने 25 अक्टूबर को सिद्धरमैया की पत्नी से पूछताछ की थी, जिन्हें आरोपी नंबर दो के रूप में नामजद किया गया है।
मैसुरु स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर को दर्ज प्राथमिकी में सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू तथा अन्य का नाम है।
स्वामी और देवराजू पहले ही लोकायुक्त पुलिस के समक्ष गवाही दे चुके हैं।
एमयूडीए मामले में यह आरोप लगाया गया है कि मैसुरु के एक पॉश इलाके में पार्वती को 14 ऐसे भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका मूल्य उस भूमि की तुलना में अधिक है, जिसे एमयूडीए ने ‘अधिग्रहित’ किया था।
एमूयडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे।
भाषा
देवेंद्र