हमें स्वदेशी समुदायों की विशिष्टता और पुराने बाशिंदों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए : बीरेन सिंह
पारुल मनीषा
- 06 Nov 2024, 05:23 PM
- Updated: 05:23 PM
इंफाल, छह नवंबर (भाषा) मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने थाडौ सम्मेलन में पारित उस प्रस्ताव पर बुधवार को संतोष जताया, जिसमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राज्य के “मादक पदार्थ के खिलाफ युद्ध” अभियान के प्रति समर्थन व्यक्त किया गया है।
सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी सरकार शांति लाने के नाम पर बाहरी लोगों को शामिल करके अपनी नीतियों से समझौता नहीं करेगी।
पिछले हफ्ते गुवाहाटी में आयोजित सम्मेलन में थाडौ जनजाति ने एनआरसी और राज्य के “मादक पदार्थ के खिलाफ युद्ध” अभियान के प्रति समर्थन जताया था।
थाडौ कुकी समुदाय में सबसे बड़ी जनजाति है।
हालांकि, हालिया सम्मेलन के दौरान समुदाय ने जोर देकर कहा, “थाडौ लोगों का एक विशिष्ट जातीय समूह है, जिसकी अपनी अलग भाषा, संस्कृति, परंपराएं और महान इतिहास है। थाडौ समुदाय न तो कुकी है, न ही कुकी के अधीन है और न ही कुकी का हिस्सा है। यह कुकी से अलग एक स्वतंत्र समुदाय है।”
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जुड़ी प्रवेश परीक्षाओं के लिए मुख्यमंत्री कोचिंग योजना की शुरुआत के अवसर पर सिंह ने कहा, “शांति जरूर बहाल होगी। थाडौ राज्य की सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है। थाडौ सम्मेलन में एनआरसी और मादक पदार्थ के खिलाफ युद्ध अभियान के लिए समर्थन जताए जाने के बाद राज्य के कई नागरिक समाज संगठनों ने इस रुख का स्वागत और सराहना की है।”
सिंह ने कहा, “हम शांति के नाम पर अपनी नीतियों से समझौता नहीं कर सकते। समावेशिता की आड़ में हम हर बाहरी शख्स को अपने यहां जगह नहीं दे सकते। हमें अपने स्वदेशी समुदायों की विशिष्टता और पुराने बाशिंदों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। इस उद्देश्य के चलते हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम भारतीय हैं।”
कोचिंग योजना के बारे में सिंह ने कहा कि इसका मकसद मणिपुर के छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली जेईई (मेन/एडवांस्ड) और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं में बैठने के लिए तैयार करना है।
उन्होंने कहा, “पढ़े-लिखे, शिक्षित लोगों के संघर्ष में शामिल होने की संभावना कम होती है और वे अपनी वाणी एवं कार्यों में शालीनता बनाए रखेंगे। भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। हमें संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों को समझना चाहिए।”
सिंह ने बताया कि कोचिंग कोर्स के अंत में एक परीक्षा होगी, जो मार्च या अप्रैल में आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले सभी छात्रों की आगे की पढ़ाई का खर्च वहन करेगी।
भाषा पारुल