न्यायालय ने दिव्यांगजन कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से जुड़ी याचिका पर केंद्र को नोटिस दिया
संतोष रंजन
- 04 Nov 2024, 09:56 PM
- Updated: 09:56 PM
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम- 2016 के व्यापक और प्रभावी क्रियान्वयन का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बेंगलुरु के ‘नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी’ (एनएलएसआईयू) में कानून के प्रोफेसर संजय जैन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
प्रसिद्ध दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता जैन, जो जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं, की याचिका दिव्यांगजन अधिकारों और इसकी समझ के बारे में सिविल सेवा अधिकारियों के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर देती है।
याचिका में कहा गया है कि 19 अप्रैल, 2017 को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम लागू होने के बावजूद इसके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण कमियां थीं।
याचिका में दिव्यांगता अधिकार फाउंडेशन और अन्य संगठनों की 2018 की संयुक्त रिपोर्ट सहित विभिन्न रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है, जिसमें संकेत दिया गया है कि कई राज्यों ने अभी तक आवश्यक नियमों को अधिसूचित नहीं किया है या सलाहकार बोर्ड स्थापित नहीं किए हैं।
इसमें कहा गया है कि दिव्यांगजन आयुक्त कार्यालय की 2021-2022 की वार्षिक रिपोर्ट में इन चिंताओं को दर्शाया गया है, जो कई राज्यों में प्रगति की कमी को दिखाती हैं।
याचिका में कहा गया कि आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम का अपर्याप्त क्रियान्वयन हुआ और इसने संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 (समानता का अधिकार, भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा, जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार) का उल्लंघन किया।
भाषा संतोष