तवांग को भारत का हिस्सा बनाने वाले नायक के सम्मान में अरुणाचल में संग्रहालय का उद्घाटन
योगेश पारुल
- 03 Nov 2024, 06:46 PM
- Updated: 06:46 PM
तवांग, तीन नवंबर (भाषा) वर्ष 1951 में 'नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (एनईएफए)' के सहायक राजनीतिक अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खातिंग ने तवांग को भारत संघ में शामिल करने के लिए एक साहसिक अभियान चलाया था, जिसके 73 वर्ष बाद उनकी वीरता की याद में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने असम के तेजपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस संग्रहालय का बृहस्पतिवार को उद्घाटन किया। वह खराब मौसम के कारण तवांग नहीं जा सके।
खातिंग को असम के तत्कालीन राज्यपाल जयरामदास दौलतराम ने 17 जनवरी 1951 को चारिदुआर और तेजपुर के पास से असम राइफल्स के 200 सैनिकों और 400 'पोर्टर' के साथ तवांग की ओर कूच करने का आदेश दिया था।
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तवांग स्वतंत्र तिब्बती सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में था। कई प्रयासों के बावजूद अंग्रेज इसे अपने अधीन नहीं कर सके।
एनईएफए के ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, जब खातिंग और उनके लोग तवांग पहुंचे, तो उन्होंने तवांग मठ के पास एक ऊंचे स्थान पर स्थानीय कर अधिकारियों, गांव के बुजुर्गों और तवांग के प्रमुख लोगों के साथ बैठक बुलाई।
खातिंग ने स्थानीय लोगों का दिल जीतने के लिए अपनी कूटनीतिक कुशलता का प्रयोग किया और जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि मोनपा समुदाय तिब्बती प्रशासन की ओर से लगाए गए कठोर करों से परेशान था।
खातिंग ने स्थानीय लोगों को भारत और उसके लोकतंत्र के बारे में बताया तथा उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत उन पर कभी भी अनुचित कर नहीं लगाएगा। जल्द ही असम राइफल्स के जवानों के साथ खातिंग ने तवांग पर नियंत्रण हासिल कर लिया। तवांग और बुमला में तिरंगा फहराया गया और यह क्षेत्र भारत का हिस्सा बन गया।
खातिंग के सम्मान में संग्रहालय स्थापित करने का विचार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के दिमाग की उपज था।
खातिंग के बारे में देश में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केटी परनाइक, मुख्यमंत्री खांडू, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और राज्य के कई मंत्री शामिल हुए। समारोह में खातिंग के परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।
तेजपुर से रक्षा मंत्री के साथ सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और कई शीर्ष सैन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस समारोह के गवाह बने।
समारोह में राजनाथ ने तवांग में स्थापित भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 'देश का वल्लभ' को भी राष्ट्र को समर्पित किया।
खातिंग को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजनाथ ने कहा कि वह एक असाधारण व्यक्ति थे, जिन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अमूल्य योगदान दिया।
उन्होंने कहा, "मेजर खातिंग ने न केवल भारत में तवांग के शांतिपूर्ण विलय का नेतृत्व किया, बल्कि सशस्त्र सीमा बल, नगालैंड सशस्त्र पुलिस और नगा रेजिमेंट सहित आवश्यक सैन्य एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों की भी स्थापना की।"
रिजिजू ने कहा कि खातिंग को अब उचित सम्मान दिया गया है।
उन्होंने कहा, “खातिंग ने अपने जीवनकाल में कई भूमिकाएं निभाईं। वह एक छात्र नेता थे। उन्होंने सेना में मेजर पद पर सेवाएं दीं और हैदराबाद को भारत संघ के अधीन लाने वाली टीम का हिस्सा थे। वह विधायक, मणिपुर सरकार में मंत्री और म्यांमा में भारत के राजदूत भी रहे।”
रिजिजू ने कहा, "मैंने इतिहास में ऐसा व्यक्ति कभी नहीं देखा, जिसने अपने जीवनकाल में इतनी सारी भूमिकाएं निभाई हों। लेकिन दुर्भाग्य से देश के लोग बॉब खातिंग के बारे में शायद ही जानते हों। बॉब खातिंग के बिना तवांग भारत का हिस्सा नहीं बनता।"
भाषा
योगेश