कनाडा ने साइबर खतरा पैदा करने वाले देशों की सूची में भारत को किया शामिल
सुभाष नेत्रपाल
- 02 Nov 2024, 08:36 PM
- Updated: 08:36 PM
ओटावा, दो नवंबर (भाषा) कनाडा ने पहली बार भारत का नाम साइबर खतरा पैदा करने वाले देशों की सूची में शामिल किया है। इसके जरिये उसने यह संकेत देने की कोशिश की है कि (भारत) सरकार द्वारा प्रायोजित तत्वों के माध्यम से ओटावा के खिलाफ जासूसी किए जाने की संभावना है।
दोनों देशों के मध्य जारी कूटनीतिक विवाद के बीच, कनाडा की राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन 2025-2026 (एनसीटीए 2025-2026) रिपोर्ट में चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के बाद भारत को पांचवें स्थान पर रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा आकलन है कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा पैदा करने वाले तत्वों द्वारा जासूसी के मकसद से कनाडा सरकार के नेटवर्क के खिलाफ साइबर खतरा पैदा करने वाली गतिविधि संचालित किए जाने की संभावना है।’’
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक साल पहले कहा था कि कनाडा के पास इस बारे में विश्वसनीय सबूत हैं कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में कनाडाई सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे।
भारत ने इस आरोप को बेतुका करार देते हुए खारिज किया था और इस आरोप से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए।
एनसीटीए 2025-2026 कनाडा में व्यक्तियों और संगठनों के समक्ष उत्पन्न हो सकने वाले साइबर खतरों पर प्रकाश डालता है। इसे 30 अक्टूबर को कैनेडियन सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी (साइबर सेंटर) द्वारा जारी किया गया, जो साइबर सुरक्षा पर कनाडा का तकनीकी प्राधिकरण है और यह संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान कनाडा (सीएसई) का हिस्सा है।
वर्ष 2018, 2020 और 2023-24 की राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन रिपोर्ट में भारत का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि 2025-26 के आकलन में भारत का उल्लेख - चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ - ‘बैरी देशों से साइबर खतरा’ खंड में किया गया है, जिसमें कनाडा के लिए साइबर खतरों पर चर्चा की गई है।
आकलन रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत का नेतृत्व लगभग निश्चित रूप से घरेलू साइबर क्षमताओं के साथ एक आधुनिक साइबर प्रोग्राम तैयार करने की आकांक्षा रखता है। भारत इसका इस्तेमाल अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए करता है, जिसमें जासूसी करना, आतंकवाद का मुकाबला तथा भारत के वैश्विक दर्जे को बढ़ाने की कोशिश करना शामिल है।’’
भाषा सुभाष