आरआर पाटिल के खिलाफ अजित पवार की टिप्पणी ‘असंवेदनशील’ : सुले
धीरज देवेंद्र
- 31 Oct 2024, 12:24 AM
- Updated: 12:24 AM
पुणे, 30 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने बुधवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा पूर्व गृह मंत्री आर.आर. पाटिल के खिलाफ की गई टिप्पणी को ‘‘असंवेदनशील’’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों के लिए वह दिवंगत नेता की पत्नी और मां से माफी मांगती हैं।
कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उन्होंने कभी भी कथित सिंचाई घोटाले की जांच का आदेश नहीं दिया था।
बारामती से सांसद सुले ने कहा कि उनके चचेरे भाई के बयान से उन्हें दुख पहुंचा है और वह बेचैन हो गई हैं। सुले ने इस मामले में उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस की भी आलोचना की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित पवार ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि उनके करीबी सहयोगी आर.आर. पाटिल ने उनके खिलाफ कथित करोड़ो रुपये के सिंचाई घोटाले में जांच का आदेश देकर उनकी ‘‘पीठ में छुरा घोंपा’’ था।
उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें वह फाइल दिखाई थी जिसमें जांच का आदेश देने संबंधी पाटिल की टिप्पणी का उल्लेख था।
पवार ने यह टिप्पणी राकांपा उम्मीदवार संजय काका पाटिल के लिए एक रैली को संबोधित करते हुए की। संजय काका पाटिल 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में सांगली जिले के तासगांव से दिवंगत आरआर पाटिल के बेटे रोहित के खिलाफ मैदान में हैं।
सुले ने कहा कि उन्होंने अजित पवार के बयान के बाद आर.आर. पाटिल की पत्नी और मां को फोन किया और उनसे माफी मांगी क्योंकि इससे दिवंगत नेता के परिवार को ठेस पहुंची होगी।
बारामती से सांसद ने कहा कि यह फडणवीस ही थे जिन्होंने सिंचाई परियोजना में 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था और अब उन्हें जवाब देना चाहिए कि उन आरोपों का क्या हुआ।
सुले ने कहा कि जब आरोप लगाए गए थे, तब राकांपा एकजुट थी। 1999-2009 के दौरान जब महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा की गठबंधन सरकार थी तब अजित पवार जल संसाधन विकास मंत्री थे। पिछले साल अजित पवार ने शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी को तोड़ दिया था।
सुले ने कहा कि आरआर पाटिल को आबा के नाम से जाना जाता था और उनका मानना था कि राज्य के हित में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ पाटिल ने सोचा होगा कि अजित दादा का आरोपों से कोई लेना-देना नहीं है और वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि अजित बेदाग निकलें।’’
कांग्रेस नेता चव्हाण ने सतारा में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने कभी भी कथित सिंचाई घोटाले की जांच का आदेश नहीं दिया था, जैसा कि कुछ लोगों द्वारा दावा किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘‘मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए थे कि मैंने उस समय सिंचाई घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था या मैंने मामले की जांच का आदेश दिया था, लेकिन यह सच नहीं है। मैंने कभी भी कोई जांच का आदेश नहीं दिया था और न ही कभी ‘घोटाला’ शब्द का इस्तेमाल किया था।’’
चव्हाण ने कहा कि उन्होंने सिर्फ जानकारी के लिए सिंचाई परियोजनाओं पर ‘श्वेत पत्र’ की मांग की थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘बाद में विधानसभा में श्वेत पत्र पर चर्चा हुई और कुछ लोगों ने विदर्भ विकास मंडल (जिसका नाम कथित घोटाले में सामने आया) की जांच की मांग की। उस जांच के बाद एक फाइल बनाई गई और सिफारिश की गई कि इसकी खुली जांच होनी चाहिए। फाइल गृह मंत्री (आर आर पाटिल) के पास गई, जिन्होंने फिर इसे मंजूरी दे दी।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने वह फाइल कभी नहीं देखी, इसलिए उस पर हस्ताक्षर करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि लेकिन उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि उनकी सरकार गिर गई थी।
भाषा धीरज