मुंबई: साइबर अपराधियों ने वरिष्ठ नागरिक को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा
योगेश नेत्रपाल
- 29 Oct 2024, 12:20 AM
- Updated: 12:20 AM
मुंबई, 28 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र में साइबर अपराधियों ने 67 वर्षीय एक महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया और उससे कहा कि उसका नाम धनशोधन के एक मामले में आया है, जिससे उन्हें अपना नाम हटाने के लिए 14 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘आरोपी ने खुद को दिल्ली दूरसंचार विभाग और साइबर अपराध शाखा का कर्मचारी बताया। उन्होंने महिला पर धनशोधन के एक मामले में शामिल होने का आरोप लगाकर उसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा। अपराध एक से पांच सितंबर के बीच कांदिवली पश्चिम में हुआ, जहां वह अपनी भाभी के साथ रहती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शनिवार को उत्तर क्षेत्र साइबर थाने में उसकी शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। शिकायत के अनुसार, महिला को एक सितंबर को एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को दिल्ली दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताया। उसे बताया गया कि दिल्ली साइबर अपराध शाखा में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोपी ने महिला को बताया कि अपराध में उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया है।’’
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद आरोपी ने उसकी बात अपने साथी से कराई, जिसने खुद को साइबर अपराध शाखा का अधिकारी राकेश कुमार बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब पीड़िता को दिल्ली पुलिस के तीन फर्जी पत्र दिखाए गए और कुमार तथा खुद को शोभा शर्मा बताने वाली एक महिला आरोपी ने बताया कि उसे तीन से पांच साल की जेल हो सकती है, तो वह डर गई। इसके बाद शर्मा ने पीड़िता से उसके बैंक खातों, म्युचुअल फंड, सावधि जमा के बारे में पूछा और उसे बैंक जाकर उसके द्वारा बताए गए बैंक खाते में सभी निवेश जमा करने को कहा।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘शर्मा के निर्देश पर पीड़िता बैंक गई, सावधि जमा, म्युचुअल फंड और बचत खातों को तोड़कर आरटीजीएस के माध्यम से दिए गए खाता नंबर में 14 लाख रुपये जमा कर दिए। फोन करने वाले ने सत्यापन के बाद पैसे वापस करने का वादा किया। महिला को अपने बेटे से बात करने के बाद पता चला कि उसके साथ धोखा हुआ है, जिसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया।’’
वहीं, तेलंगाना के हैदराबाद में एक अन्य मामले में साइबर अपराधियों ने फर्जी धनशोधन मामले में 44 वर्षीय एक आईटी कर्मचारी को करीब 30 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा था। पुलिस की मदद से वह साइबर ठगों के चंगुल से बाहर निकलने में सफल रहा।
पुलिस ने सोमवार को बताया कि पीड़ित के साथ यह घटना 26 अक्टूबर की सुबह से शुरू हुई और 27 अक्टूबर तक जारी रही, जिसमें जालसाजों ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए एक ऐप के जरिए उसे वॉयस और वीडियो कॉल किया तथा कॉल न काटने की हिदायत दी।
उन्होंने उसे धनशोधन के मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी और इस मामले से उसका नाम हटाने के लिए 40 लाख रुपये मांगे। 27 अक्टूबर की सुबह साइबर अपराधियों की कॉल कटने के बाद पीड़ित ने हैदराबाद साइबर अपराध थाने को सूचित किया, जिसने उसे बताया कि यह एक धोखाधड़ी है।
भाषा योगेश