गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप में पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर हमला: कांग्रेस
रंजन
- 28 Oct 2024, 09:36 PM
- Updated: 09:36 PM
नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) गोपनीय दस्तावेज रखने के आधार पर एक अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार के खिलाफ गुजरात पुलिस की कार्रवाई को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर खुलेआम हमला करार देते हुये कांग्रेस ने आरोप लगाया कि असली अपराध गुजरात सरकार के शीर्ष स्तर पर हो रहा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अदाणी समूह से मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच जरूरी है।
गुजरात पुलिस ने ‘द हिंदू’ अखबार के साथ काम करने वाले लांगा के खिलाफ गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप में मामला दर्ज किया था। यह मामला तब दर्ज किया गया था जब पत्रकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े घोटाले से संबंधित एक अलग मामले में पहले से ही न्यायिक हिरासत में है।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अहमदाबाद में ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ पत्रकार पर गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) की आधिकारिक दस्तावेज रखने का आरोप लगाया गया है। यह स्पष्ट रूप से उस कुत्सित तरीक़े से ध्यान हटाने के लिए किया गया है जिसमें जीएमबी को सरकारी खज़ाने की क़ीमत पर ‘मोदानी’ को विशेष लाभ देने के लिए मजबूर किया गया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि गोपनीय फाइलें रखने के आधार पर महेश लांगा की गिरफ़्तारी ‘मोदानी’ का लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर खुलेआम हमला है।
रमेश ने कहा, ‘‘असली अपराध गुजरात सरकार के शीर्ष स्तर पर हो रहा है। इसीलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि ‘मोदानी’ मामले की व्यापक रूप से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच करवाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप क्रोनोलॉजी समझिए। वर्ष 2024 की शुरुआत में, अदाणी पोर्ट्स ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से ‘बिल्ड-ऑपरेट-ओन-ट्रांसफर’ (बूट) के आधार पर निजी बंदरगाहों के लिए रियायत की अवधि को मौजूदा 30 साल से बढ़ाकर 75 साल करने का अनुरोध किया, जो कि 50 वर्ष की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से काफ़ी अधिक है।’’
रमेश के अनुसार, 12 मार्च, 2024 को जीएमबी की बैठक हुई और सिफ़ारिश की गई कि बंदरगाहों की संपत्तियों और संचालन के लिए अधिक बोलियां आमंत्रित की जाएं, मौजूदा ऑपरेटर (अदाणी पोर्ट्स) के साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से बातचीत की जाए और बंदरगाहों के लिए अलग-अलग दर संरचनाएं तैयार और लागू की जाएंगी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘कुछ दिनों बाद जीएमबी की सिफ़ारिशों को ‘गुजरात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड’ (जीआईडीबी) और स्वयं मुख्यमंत्री ने ख़ारिज़ कर दिया। ऐसा होने से अदाणी पोर्ट्स को मुंद्रा, हजीरा और दहेज बंदरगाहों पर 75 वर्षों के लिए नियंत्रण पाने का रास्ता साफ हो गया।’’
रमेश का कहना है कि ये सभी तथ्य 14 अगस्त, 2024 को सार्वजनिक रूप से सामने आए।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के वित्त विभाग ने मौजूदा रियायत अवधि 2027-28 में समाप्त होने के बाद अदाणी पोर्ट्स द्वारा राज्य को मिलने वाली रॉयल्टी राजस्व की राशि पर जीएमबी से कुछ स्पष्टीकरण मांगे। अडानी पोर्ट्स द्वारा राज्य को किए जाने वाले भुगतान का जीएमबी का प्रारंभिक अनुमान लगभग 1700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष था जबकि कंपनी का दावा था कि यह प्रति वर्ष केवल 394 करोड़ रुपये था।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसके बाद भारी बवाल मचा। अधिकारियों के तबादले कर दिए गए और कंपनी के लिए सुविधाजनक तरीक़े से नंबरों पर फिर से काम किया गया। मामला फिलहाल वित्त विभाग के पास है। देखते हैं आगे क्या होता है।’’
भाषा हक हक