पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी; फिर भी दिल्ली की हवा पर कोई असर नहीं
खारी नरेश
- 28 Oct 2024, 01:33 PM
- Updated: 01:33 PM
चंडीगढ़, 28 अक्टूबर (भाषा) पंजाब में फसल कटाई के बाद की अवधि में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 50 फीसदी की कमी आई है। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर इसका कोई सकारात्मक असर नहीं दिखा है।
‘पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर’ के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जाने की 1,995 घटनाएं सामने आईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 4,059 था।
अगर वर्ष 2022 के आंकड़ों से तुलना करें तो इस साल 75 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। राज्य में इस अवधि में वर्ष 2022 में पराली जलाने की 8,147 घटनाएं दर्ज की गई थीं।
अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है। पंजाब में धान की खरीद प्रकिया जारी है।
आंकड़ों के अनुसार, रविवार को पंजाब में पराली जलाने की 138 घटनाएं सामने आई जिनमें सबसे ज्यादा फिरोजपुर, उसके बाद संगरूर और फतेहगढ़ से थीं।
राज्य में 2022 और 2023 में इसी दिन पराली जलाने की क्रमशः 1,111 और 766 घटनाएं दर्ज की गई थीं।
हालांकि, पराली जलाने की घटनाओं में कमी के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 355 रहा जो ‘‘बेहद खराब’’ श्रेणी में आता है।
चूंकि धान की कटाई के बाद गेहूं जैसी रबी फसलों के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान फसल अवशेषों को जल्द हटाने के लिए उनमें आग लगा देते हैं।
पंजाब में 31 लाख से अधिक हेक्टेयर रकबे में धान की खेती की जाती है और इससे 180-200 लाख टन पराली निकलती है।
पंजाब में 2023 में पराली जलाने की कुल 36,663 घटनाएं सामने आई थीं। यह आंकड़ा उससे पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत कम था।
राज्य में 2022 में पराली जलाने की कुल 49,922 घटनाएं, 2021 में 71,304 घटनाएं, 2020 में 76,590 घटनाएं, 2019 में 55,210 घटनाएं और 2018 में 50,590 घटनाएं दर्ज की गईं।
भाषा
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