अच्छे सिनेमा को सुलभ कराना चाहता हूं: मनोज बाजपेयी
नोमान प्रशांत
- 25 Oct 2024, 07:22 PM
- Updated: 07:22 PM
(कोमल पंचमटिया)
मुंबई, 25 अक्टूबर (भाषा) बड़े बजट और ब्लॉकबस्टर फिल्मों की पृष्ठभूमि में अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि उनका एकमात्र उद्देश्य “अच्छे सिनेमा को सभी के लिए सुलभ” बनाना है।
अभिनेता की हालिया फिल्मों “डिस्पैच” और “द फैबल” को मामी फिल्म महोत्सव 2024 में सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिससे उनकी यह धारणा मजबूत हुई कि ऐसी कहानियों को मुख्यधारा की फिल्मों के साथ कामयाबी मिल सकती है।
बाजपेयी ने स्वतंत्र फिल्मों के संदर्भ में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मेरे लिए, यह सिनेमा है। सिनेमा कला का एक माध्यम है, सिनेमा ध्वनि है, वीएफएक्स है, और बहुत सारे पहलू जुड़ रहे हैं। यह नए पहलू न सिर्फ मनोरंजन के लिए जुड़ रहे है, बल्कि विभिन्न कहानियों की गहराई में उतरकर इसे कुशलता और कलात्मक रूप से पेश करने के लिए भी जुड़ रहे हैं। यदि आप मनोरंजन करना चाहते हैं, तो कलात्मक रूप से मनोरंजन करें।”
उन्होंने कहा, “ फिल्मों को सुलभ बनाया जाए। ‘जोराम’, 'डिस्पैच' और 'द फैबल' ने ऐसा ही किया है। मुझे नहीं पता (कि दर्शक थिएटर में आएंगे या नहीं) लेकिन मैं चाहता हूं कि ऐसा हो। आप फिल्में बनाते हैं, यह सोचकर कि लोग उन्हें देखेंगे। सुलभता महत्वपूर्ण है और अधिक से अधिक दर्शकों को अच्छे सिनेमा की ओर आकर्षित करना अहम है। यही मकसद होना चाहिए।”
बाजपेयी का फिल्मी सफर तीन दशक लंबा है। उन्होंने “गुलमोहर”, “गली गुलियां”, “जोराम”, “गैंग्स ऑफ वासेपुर”, “शूल”, “राजनीति” और “सत्या” जैसी फिल्मों में अभिनय किया है।
मामी फिल्म महोत्सव के बृहस्पतिवार शाम को हुए समापन समारोह में, “द फैबल” को विशेष जूरी पुरस्कार प्रदान किया गया।
बाजपेयी (55) ने कहा, “ मैं (दोनों) फिल्मों (‘डिस्पैच'’और ‘द फैबल’) की तारीफ करने वाले लोगों से घिर गया था। जब लोग आपके काम को पसंद करते हैं तो यह एक खूबसूरत एहसास होता है।”
अपने फिल्मी सफर को लेकर अभिनेता ने कहा, “ मेरे दिमाग में यह बात स्पष्ट थी कि मैं फिल्मों में अपना करियर कैसे बनाना चाहता हूं। किस्मत भी साथ है और मुझे खुशी है कि मुझे ऐसे मौके मिल रहे हैं क्योंकि इससे एक अभिनेता के तौर पर मेरी आकांक्षा पूरी होती है।”
भाषा
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