पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के बेटे ने शिगगांव विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया
सुरेश अविनाश
- 25 Oct 2024, 06:42 PM
- Updated: 06:42 PM
हावेरी (कर्नाटक), 25 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के शिगगांव में 13 नवम्बर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पुत्र भरत बोम्मई तथा कांग्रेस की ओर से यासिर अहमद खान पठान ने शुक्रवार को अपने नामांकन दाखिल किए।
कांग्रेस नेता सैयद अजमपीर खादरी ने भी अपना नामांकन दाखिल किया है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने खादरी को चुनाव मैदान में उतरने से रोकने की कोशिश की, लेकिन वह अड़े रहे।
उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डी के शिवकुमार ने हालांकि पार्टी में किसी भी विद्रोह से इनकार किया और कहा कि खादरी अपना नामांकन पत्र वापस ले लेंगे।
इस साल मई में बसवराज बोम्मई ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और उन्होंने बाद में विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से शिगगांव सीट खाली हो गई थी।
विपक्षी भाजपा ने शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भरत के नामांकन दाखिल करने से पहले एक विशाल रैली निकाली।
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, पूर्व मंत्री मुरुगेश निरानी और हुबली सेंट्रल के विधायक महेश तेंगिंकाई भी खुले ट्रक में पार्टी उम्मीदवार के साथ थे।
भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य येदियुरप्पा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी राज्य की उन तीनों सीटों पर जीत हासिल करेगी, जहां उपचुनाव होने हैं।
भाजपा के दिग्गज नेता ने कहा, ‘‘हम जहां भी जा रहे हैं, हमारा जोरदार स्वागत किया जा रहा है। लोगों ने नरेन्द्र मोदी पर जो भरोसा जताया है, वही हमारी जीत का आधार बनेगा।’’
उन्होंने कहा कि जीत ‘निश्चित’ है, क्योंकि एससी/एसटी और पिछड़े समुदाय के लोग भाजपा का समर्थन कर रहे हैं।
बसवराज बोम्मई ने भरत के लिए समर्थन मांगते हुए कहा कि उन्होंने अपने बेटे को समाज के हर वर्ग की मदद करने और उनकी रक्षा करने का ‘आदेश’ दिया है।
उनके अनुसार, कांग्रेस सरकार के "कुशासन" के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। उन्होंने लोगों से राज्य सरकार की "विफलता के खिलाफ खड़े होने" के लिए कहा।
कांग्रेस उम्मीदवार पठान 2023 का विधानसभा चुनाव बोम्मई से हार गए थे।
भाषा सुरेश