न्यायालय ने अजित पवार को महाराष्ट्र चुनाव में ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
सुभाष माधव
- 24 Oct 2024, 06:26 PM
- Updated: 06:26 PM
नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी प्रचार सामग्री में ‘‘घड़ी’’ चिह्न का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार नीत खेमे की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। साथ ही, पीठ ने अजित पवार नीत खेमे को एक नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने 19 मार्च और चार अप्रैल को अजित पवार नीत खेमे को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी भाषा के अखबारों में एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर उसमें यह उल्लेख करने का निर्देश दिया था कि ‘‘घड़ी’’ चिह्न का आवंटन न्यायालय के विचाराधीन है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि अजित पवार खेमा को मामले में निर्णय आने तक इस चिह्न के उपयोग की अनुमति होगी।
बृहस्पतिवार को कार्यवाही के दौरान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर गौर किया। वह शरद पवार खेमे की ओर से पेश हुए।
सिंघवी ने दलील दी कि विरोधी समूह को ‘‘घड़ी’’ चिह्न का इस्तेमाल करने से रोका जाए क्योंकि इसने अपनी प्रचार सामग्री में ‘डिस्क्लेमर’ का उपयोग नहीं किया और मतदाताओं को ‘‘गुमराह’’ किया है।
सिंघवी ने दलील दी, ‘‘वे डिस्क्लेमर का उपयोग नहीं कर रहे हैं। किसी को भी इस चुनाव चिह्ल का उपयोग नहीं करना चाहिए जो न्यायालय में विचाराधीन है।’’
शीर्ष अदालत ने अजित पवार को न्यायालय के 19 मार्च और चार अप्रैल के निर्देशों को लेकर एक नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि उसके निर्देशों को लेकर वह एक नया हलफनामा दाखिल करें, जिसमें कहा जाए कि राकांपा का ‘‘घड़ी’’ चिह्न न्यायालय में विचाराधीन है और राज्य विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान भी इस बात का सावधानीपूर्वक अनुपालन किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘एक नया हलफनामा दाखिल करें कि आपने पूर्व में दिये हमारे निर्देशों का उल्लंघन नहीं किया है। यदि कोई उल्लंघन होता है तो हम इसका संज्ञान लेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन करेंगे। कृपया, शर्मिंदगी का सबब बनने वाली स्थिति पैदा न करें।’’
सिंघवी ने कहा कि अजित पवार समूह को विधानसभा चुनाव के लिए एक नया चिह्न आवंटित किया जाना चाहिए।
अजित पवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने सिंघवी की दलीलों का विरोध किया और कहा कि सभी पर्चे और प्रचार सामग्री में न्यायालय के निर्देशानुसार ‘डिस्क्लेमर’ शामिल हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘वे झूठे दस्तावेज दिखा रहे हैं। हमने अपनी प्रचार सामग्री में ‘डिस्क्लेमर’ दिया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी यही आरोप लगाए थे, जिसे खारिज कर दिया गया था। मैं सभी दस्तावेज और पर्चे दाखिल करने को तैयार हूं।’’
विषय की सुनवाई 6 नवंबर के लिए निर्धारित की गई है।
शरद पवार ने निर्वाचन आयोग के 6 फरवरी के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसमें अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को वास्तविक राकांपा के रूप में मान्यता दी गई थी।
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