पीएसी की बैठक में नहीं पहुंचीं सेबी प्रमुख, भाजपा ने लोस अध्यक्ष से वेणुगोपाल के आचरण की शिकायत की
हक हक सुभाष
- 24 Oct 2024, 03:00 PM
- Updated: 03:00 PM
नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच के बृहस्पतिवार को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थता जताने के कारण समिति के प्रमुख के.सी. वेणुगोपाल ने इसकी बैठक स्थगित कर दी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वेणुगोपाल पर एकतरफा तरीके से निर्णय लेने और असंसदीय आचरण करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ओम बिरला से शिकायत की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वेणुगोपाल का कहना है कि बुच की तरफ से आज सुबह साढ़े नौ बजे सूचित किया कि वह निजी कारणों के चलते पीएसी की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगी, जिसके बाद बैठक को स्थगित करने का फैसला किया गया।
वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘समिति की पहली बैठक में हमने फैसला किया था कि पहले विषय के रूप में हमारी नियामक संस्थाओं की समीक्षा की जाए। इसलिए हमने आज सेबी की प्रमुख को इस संस्था की समीक्षा के लिए बुलाया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले, समिति के समक्ष पेश होने से सेबी प्रमुख के लिए छूट की मांग की गई जिससे हमने इनकार कर दिया। इसके बाद, उन्होंने पुष्टि की थी कि वह समिति के समक्ष पेश होंगी। आज सुबह साढ़े नौ बजे सेबी प्रमुख और इसके अन्य सदस्यों की ओर से सूचित किया गया कि निजी कारणों से वह दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकतीं।’’
वेणुगोपाल ने कहा कि एक महिला के आग्रह को ध्यान में रखते हुए बृहस्पतिवार की बैठक को स्थगित करने का फैसला किया गया।
भाजपा सदस्यों का आरोप है कि वेणुगोपाल ने ‘‘स्वत: संज्ञान’’ लेते हुए बैठक स्थगित करने का फैसला किया और इस संबंध में उनकी राय नहीं ली।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘यह बहुत बड़ा विषय है। उनका कहना है कि स्वत: संज्ञान लेते हुए फैसला किया गया। आपने कैसे निर्णय लिया? पीएसी का काम सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करना है।’’
उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्थाओं के कामकाज को देखने के लिए संबंधित विभागों की स्थायी समितियां हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘‘हमें विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि सीएजी रिपोर्ट में सेबी के बारे में कोई पैराग्राफ नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पीएसी प्रमुख का आचरण पूरी तरह से असंसदीय है।
बाद में, भाजपा नेताओं ने वेणुगोपाल के आचरण को लेकर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष विरोध दर्ज कराया।
पीएसी की बैठक के एजेंडे में ‘‘संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा’’ के लिए समिति के निर्णय के हिस्से के रूप में वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य शामिल थे।
इस एजेंडे में संचार मंत्रालय और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य भी शामिल थे।
एजेंडे में कानून द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा को शामिल करने के समिति के फैसले का कोई विरोध नहीं था। लेकिन, बुच को बुलाने का वेणुगोपाल का निर्णय सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को पसंद नहीं आया।
बुच अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग’ के आरोपों से उत्पन्न हुए राजनीतिक विवाद के केंद्र में रही हैं।
बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने हितों के टकराव के आरोप लगाए थे जिसके बाद कांग्रेस ने उन पर और सरकार पर तीखे हमले किए थे।
पीएसी के सदस्य निशिकांत दुबे ने गत पांच अक्टूबर को समिति के अध्यक्ष वेणुगोपाल पर केंद्र सरकार को बदनाम करने और देश के वित्तीय ढांचे तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए निरर्थक मुद्दे उठाने का आरोप लगाया था।
भाजपा सांसद दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में वेणुगोपाल पर आरोप लगाया था कि वह अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए एक 'टूल किट' के हिस्से के रूप में काम कर रहे हैं।
वेणुगोपाल ने दुबे के आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
समिति में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के सांसदों का बहुमत है और वे इसकी बैठकों में विपक्षी सदस्यों द्वारा उन मुद्दों को उठाने के किसी भी कदम का जोरदार विरोध कर सकते हैं, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे समिति के दायरे से बाहर हैं।
दुबे का कहना है कि लोक लेखा समिति का एकमात्र कार्य भारत सरकार के विनियोग खातों और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट की जांच करने तक ही सीमित है।
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