असम में पुलिस मुठभेड़ का मामला ‘बहुत गंभीर’, रिपोर्ट दाखिल करें : न्यायालय
धीरज प्रशांत
- 22 Oct 2024, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने असम पुलिस द्वारा मई 2021 से अगस्त 2022 तक की गयी 171 मुठभेड़ों से जुड़े मुद्दे को ‘बहुत गंभीर’ करार देते हुए इन मामलों की जांच सहित विस्तृत जानकारी तलब की।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ जनवरी 2023 में गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने असम पुलिस द्वारा की गयी मुठभेड़ों पर चिंता जताते हुए दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में असम सरकार द्वारा उसके समक्ष दायर हलफनामे का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि मई 2021 से अगस्त 2022 तक मुठभेड़ की 171 घटनाएं हुईं जिनमें हिरासत में मौजूद चार कैदियों सहित 56 लोगों की मौत हुई और 145 घायल हुए।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘यह बेहद गंभीर मुद्दा है। 171 घटनाएं चिंताजनक हैं।’’
असम सरकार की ओर से उपस्थित वकील ने जब दलील दी कि उच्च न्यायालय जनहित याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं था और इसे अपरिपक्व बताया, तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इस तरह की याचिकाओं को अपरिपक्व बताकर खारिज नहीं किया जा सकता।’’
याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि असम में बड़ी संख्या में मुठभेड़ हुई हैं और राज्य पुलिस मुठभेड़ मामलों की जांच में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संदर्भ में 2014 में शीर्ष अदालत द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही है।
उन्होंने दलील दी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और असम मानवाधिकार आयोग इन मामलों में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है।
पीठ ने आयोगों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता से कहा, ‘‘नागरिक स्वतंत्रता के मामलों में शीर्ष न्यायालय आपसे अग्रणी भूमिका निभाने की अपेक्षा करता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘जब उन्हें (मानवाधिकार आयोग को) कोई पत्र या शिकायत प्राप्त हो जाए तो शिकायतकर्ता के आपके पास आने का इंतजार मत कीजिए। आप सच्चाई का पता लगाने के लिए अपनी मशीनरी का इस्तेमाल कीजिए।’’
अदालत अब इस मामले में 26 नवंबर को अगली सुनवाई करेगी।
भाषा धीरज