महाराष्ट्र चुनाव : चाचा अजित पवार के खिलाफ बारामती से चुनावी मैदान में उतरेंगे युगेंद्र पवार?
नोमान रंजन
- 21 Oct 2024, 07:19 PM
- Updated: 07:19 PM
पुणे, 21 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके भतीजे युगेंद्र पवार के बीच मुकाबलों की अटकलों से बारामती में राजनीतिक तपिश फिर बढ़ रही है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए फिलहाल उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन बारामती सहित विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर अटकलें तेज हैं।
अमेरिका में बोस्टन स्थित नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय से ‘बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन’ में स्नातक 32 वर्षीय युगेंद्र महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार के पोते हैं और अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। युगेंद्र पवार परिवार के मुखिया एवं राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार के करीबी रहे हैं।
पवार परिवार के पारंपरिक गढ़ बारामती में हाल के लोकसभा चुनावों में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और उनकी ननद सुप्रिया सुले के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। सुले बारामती सीट से सांसद हैं । वह शरद पवार की बेटी और अजित की (चचेरी) बहन हैं ।
जुलाई 2023 में अजित पवार की बगावत के बाद पारिवारिक कलह की पृष्ठभूमि में लोकसभा चुनाव में मुकाबला हुआ जिसमें सुनेत्रा की हार हुई।
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन का हिस्सा है। पार्टी ने अब तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।
युगेंद्र शरद पवार के संरक्षण में अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं, जिसकी झलक सितंबर में बारामती में स्वाभिमान यात्रा के शुभारंभ में देखने को मिली।
युगेंद्र, शरद पवार द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान विद्या प्रतिष्ठान के कोषाध्यक्ष हैं।
पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान युगेंद्र ने सुले के लिए प्रचार किया था, जबकि उनके पिता ने शरद पवार को छोड़कर अन्य राकांपा नेताओं के साथ महायुति सरकार में शामिल होने के लिए अजित की आलोचना की थी।
राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर अफवाहें गर्म हैं कि क्या अजित पवार 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में बारामती विधानसभा क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ेंगे।
राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने हाल में इन खबरों को खारिज करते हुए अजित पवार की पारंपरिक सीट से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की, जिसका वह कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
जब युगेंद्र से पूछा गया कि क्या वह बारामती में अजित पवार की जगह लेने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से परहेज किया।
युगेंद्र ने कहा, “मैं किसी की जगह लेने में दिलचस्पी नहीं रखता हूं और मैं किसी का विरोध नहीं करना चाहता हूं।” हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि वह चुनावी मुकाबले से पीछे नहीं हटेंगे।
युगेंद्र के अनुसार, बारामती के लोग शरद पवार के प्रति वफादार हैं जिनमें वह भी शामिल हैं और वह अपने दादा को छोड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते।
युगेंद्र ने एक मराठी समाचार पोर्टल से कहा, “पवार साहेब और लोग तय करेंगे कि मुझे राज्य विधानसभा में जाना चाहिए या नहीं।”
उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी यात्रा बारामती के लोगों तक पहुंचने और उन्हें शरद पवार की विचारधारा की याद दिलाने के लिए आयोजित की गई थी।
युगेंद्र ने कहा, “बारामती के आत्मसम्मान वाले लोगों को पवार साहेब के साथ जो कुछ हुआ, वह पसंद नहीं आया।”
हालांकि, युगेंद्र ने कहा कि उन्होंने बारामती से अपनी उम्मीदवारी के बारे में अब तक शरद पवार से बात नहीं की है।
लोकसभा चुनाव में सुले ने बारामती संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ बढ़त हासिल की थी। सुले ने 1.50 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। उन्हें 7,32,312 वोट मिले, जो 2019 के चुनावों में मिले मतों से 45,000 अधिक थे।
भाषा नोमान