निर्वाचन आयोग ने अजय कुमार सिंह को झारखंड का नया डीजीपी नियुक्त किया
पारुल दिलीप
- 21 Oct 2024, 05:15 PM
- Updated: 05:15 PM
नयी दिल्ली/रांची, 21 अक्टूबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने झारखंड कैडर के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को सोमवार को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आयोग ने अनुराग गुप्ता को झारखंड के कार्यवाहक डीजीपी पद से हटाने के कुछ दिन बाद यह कदम उठाया है।
सिंह 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी (आईपीएस) हैं। उन्हें तीन आईपीएस अधिकारियों के पैनल में से चुना गया, जिनके नामों की सिफारिश राज्य सरकार ने की थी।
पिछले चुनावों में चुनाव-संबंधी कदाचार में संलिप्तता के आरोपों के कारण निर्वाचन आयोग ने कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता को शनिवार को उनके पद से हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने ये तीन नाम भेजे थे।
झारखंड में विधानसभा चुनाव के तहत 13 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा।
वर्ष 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्ता को 26 जुलाई को सिंह की जगह डीजीपी का कार्यभार सौंपा गया था।
सिंह को उनके पूर्ववर्ती नीरज सिन्हा की सेवानिवृत्ति के बाद फरवरी 2023 में राज्य का डीजीपी बनाया गया था।
पिछले साल सिंह की नियुक्ति के साथ ही राज्य के डीजीपी की नियुक्ति को लेकर जारी विवाद खत्म हो गया, क्योंकि जनवरी 2023 में उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार और पूर्व पुलिस प्रमुख नीरज सिन्हा के खिलाफ अवमानना याचिका का निपटारा कर दिया था।
एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि सिन्हा 31 जनवरी, 2022 को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी डीजीपी के पद पर बने हुए हैं।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने तब राज्य सरकार को यूपीएससी की ओर से पेश मांगों पर ध्यान देने का निर्देश दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 14 जुलाई, 2021 को अपने फैसले के कथित उल्लंघन के लिए राज्य सरकार, उसके शीर्ष अधिकारियों और यूपीएससी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया।
तीन सितंबर, 2021 को शीर्ष अदालत ने प्रदेश पुलिस प्रमुख के लिए दो साल के निश्चित कार्यकाल के उसके फैसले का कथित तौर पर उल्लंघन करते हुए एक अंतरिम डीजीपी की नियुक्ति में राज्य सरकार और यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की भूमिका के लिए उनकी खिंचाई की थी। डीजीपी का चयन यूपीएससी द्वारा तैयार की जाने वाली सूची से किया जाना था।
इस साल जुलाई में गुप्ता की नियुक्ति की अधिसूचना के तुरंत बाद डीजीपी की नियुक्ति को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार सामने आई थी।
तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा था कि ‘इतना बड़ा निर्णय’ लेते समय गठबंधन सहयोगियों को विश्वास में नहीं लिया गया।
इस महीने की शुरुआत में निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार से 21 अक्टूबर की सुबह तक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों का एक पैनल सौंपने को कहा था, ताकि वह अगले डीजीपी का चयन कर सके।
गुप्ता को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान झामुमो द्वारा लगाए गए पक्षपातपूर्ण आचरण के आरोपों के बाद एडीजी (विशेष शाखा, झारखंड) के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, गुप्ता को दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर कार्यालय में नियुक्त किया गया और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक उनके झारखंड लौटने पर रोक लगा दी गई।
साल 2016 में झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन अतिरिक्त डीजीपी गुप्ता पर अधिकारों के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे थे। निर्वाचन आयोग ने एक जांच समिति का गठन किया था।
भाषा पारुल