हरियाणा के मुख्य सचिव ने अधिकारियों से पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने को कहा
देवेंद्र माधव
- 20 Oct 2024, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
चंडीगढ़, 20 अक्टूबर (भाषा) हरियाणा के मुख्य सचिव टी. वी. एस. एन. प्रसाद ने रविवार को राज्य के उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जाए।
प्रसाद ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जिला उपायुक्तों के साथ समीक्षा बैठक कर राज्य में पराली जलाने से रोकने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने पराली जलाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।
कैथल के उपायुक्त विवेक भारती ने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ 11 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
भारती ने बताया कि जिले में अब तक पराली जलाने के 123 मामले सामने आए हैं। इनमें से 40 मामलों में आग लगने के स्थान का पता नहीं चल सका जबकि 63 मामलों में पराली जलाने की पुष्टि हुई और 1.57 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
उन्होंने कहा कि पानीपत और यमुनानगर समेत कुछ अन्य जिलों में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ हाल में कुछ प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं।
लगभग एक महीने पहले, प्रसाद ने उपायुक्तों के साथ एक अन्य बैठक में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के वास्ते आवश्यक उपायों को लागू करने के लिए ब्लॉक स्तर पर एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, एक तहसीलदार और एक कृषि विकास अधिकारी की चार सदस्यीय समिति बनाने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों ने अपना कर्तव्य अच्छे से निभाया है, उन्हें उचित सम्मान दिया जाएगा।
मुख्य सचिव ने पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने के मामले में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने को लेकर हरियाणा और पंजाब सरकारों को बुधवार को फटकार लगाई थी तथा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को 23 अक्टूबर को उसके समक्ष पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा था।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर हरियाणा और पंजाब सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया था।
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर में पराली जलाया जाना एक प्रमुख कारण है।
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने मांग की कि सरकार पराली के लिए एमएसपी तय करे और किसानों से इसे खरीदे।
हरियाणा कृषि विभाग के हाल के निर्देशों का हवाला देते हुए हुड्डा ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं तथा अगले दो सीजन के लिए ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में फसल बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
उन्होंने पराली जलाने वाले किसानों के कृषि अभिलेखों में ‘‘लाल निशान प्रविष्टि’’ दर्ज करने के निर्देशों की भी आलोचना की।
पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को निंदनीय बताते हुए हुड्डा ने कहा कि सरकार को इस ‘‘किसान विरोधी फैसले’’ को वापस लेना चाहिए।
हुड्डा ने कहा, ‘‘किसान मजबूरी में ऐसे कदम उठाते हैं। किसानों पर जुर्माना लगाने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए।’’
कांग्रेस नेता हुड्डा ने दावा किया कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में इसका बहुत कम हिस्सा होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण का असली कारण कारखाने, वाहन और धूल कण हैं। इसलिए सरकार को पराली का निपटान करना चाहिए या किसानों से पराली खरीदनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल सरकार पराली के निपटान के लिए जिन मशीनों को उपलब्ध कराने की बात कर रही है, वे कारगर साबित नहीं हो रही हैं। मशीनों की संख्या भी बहुत कम है। खासकर छोटे किसान इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।’’
सैलजा ने एक अलग बयान में रविवार को कहा कि ‘‘राज्य में भाजपा सरकार द्वारा शपथ लेने के बाद उठाया गया पहला कदम किसानों के खिलाफ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को अगले दो सीजन तक फसल बेचने से रोकने के लिए पराली जलाने पर प्राथमिकी दर्ज करना न केवल तानाशाही है बल्कि छोटे किसानों की आजीविका पर भी सीधा हमला है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘वित्तीय कठिनाइयों से जूझ रहे किसानों को दंडित करने के बजाय सरकार को समाधान प्रदान करना चाहिए। किसानों को डराने से समस्या का समाधान नहीं होगा।’’
भाषा
देवेंद्र