हम एम्स ब्रांड को कमजोर नहीं होने देंगे : नड्डा
धीरज प्रशांत
- 20 Oct 2024, 06:30 PM
- Updated: 06:30 PM
नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने रविवार को कहा कि वह नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में पढ़ाई और शिक्षण कर्मियों की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आने देंगे और इस ब्रांड की रक्षा करेंगे।
नड्डा ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सेवाएं दे रहे बिहार और झारखंड के चिकित्सकों के मंच द्वारा आयोजित बीजेएमएफकॉन-2024 को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली एम्स की स्थापना 60 के दशक में हुई और 80 के दशक में ही यह एक ब्रांड के रूप में उभर पाया।
उन्होंने कहा, “किसी भी संस्थान को विकास करने और पूरी क्षमता से काम करने में 10 से 20 साल का समय लगता है। मैं एम्स के मानकों को कमजोर नहीं होने दूंगा और ब्रांड नाम की रक्षा करूंगा।”
नड्डा ने कहा कि शिक्षण कर्मियों की भर्ती में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एम्स-दरभंगा के लिए जल्द ही भूमिपूजन समारोह आयोजित किया जाएगा और एम्स-देवघर का काम शुरू हो चुका है और कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
नड्डा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा स्वास्थ्य में बदलाव लाने के लिए कई नीतिगत हस्तक्षेप किए गए हैं।
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य नीति-2017 में हमने इसे व्यापक और समग्र बनाने का प्रयास किया। पहले उपचारात्मक पहलू पर जोर दिया जाता था, लेकिन अब निवारक, प्रोत्साहनात्मक, उपचारात्मक उपशामक और पुनर्वास पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो एक समग्र दृष्टिकोण है।”
नड्डा ने कहा कि जिन सुविधाओं को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और उप-केंद्र कहा जाता था उन्हें आयुष्मान आरोग्य मंदिर में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 1.73 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं और उनकी गुणवत्ता का आकलन डिजिटल तरीके से किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का ध्यान गैर-संचारी रोगों का शीघ्र पता लगाने पर है।
उन्होंने बताया कि बिहार में 10,716 आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं, जिनमें अब तक 8.35 करोड़ लोग आए हैं और गैर-संचारी रोगों के लिए 4.36 करोड़ जांच की गई ।
नड्डा ने कहा कि झारखंड में 3,825 आरोग्य मंदिर हैं, जिनका लाभ अबतक 2.33 करोड़ लोगों ने लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत सरकार किस तरह सुनिश्चित कर रही है कि स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम छोर पर मौजूद लोगों तक और लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।’’
नड्डा ने कहा कि उप-स्वास्थ्य केन्द्रों में 14, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 63, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 97, उप-जिला अस्पतालों में 111 तथा जिला अस्पतालों में 134 निःशुल्क जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिला अस्पताल में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या 387 से बढ़ाकर 786 कर दी गई है और 156 जिला अस्पतालों को चिकित्सा महाविद्यालयों में परिवर्तित किया गया है।
नड्डा ने सवाल किया, ‘‘क्या आप बिहार के पूर्णिया, सारण, समस्तीपुर, सिवान और बक्सर में एवं झारखंड के दुमका, हजारीबाग, पलामू और कोडरमा में चिकित्सा महाविद्यालय की कल्पना कर सकते थे? ’’
उन्होंने कहा कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में एमबीबीएस और स्नातकोत्तर की 75 हजार से अधिक और सीट बढ़ाने की योजना है।
मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने शिशु मृत्युदर में कमी लाने में मदद की जबकि आयुष्मार भारत स्वास्थ्य बीमा योजना ने बीमारी की स्थिति में लोगों की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम किया।
भाषा धीरज