वर्ष 2026 तक दिल्ली में प्रतिदिन और तीन हजार टन ठोस अपशिष्ट का निपटारा किया जाएगा: एमसीडी
सुभाष पवनेश
- 18 Oct 2024, 10:29 PM
- Updated: 10:29 PM
नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन ठोस अपशिष्ट के निपटारे की अपनी क्षमता को 2026 तक पार कर लेगा।
एमसीडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया कि अदालत के आदेश के अनुपालन में नगर निकाय सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम है और उसने ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए ठेकेदारों को नियुक्त करने के वास्ते निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘2026 तक, हम न केवल प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटारा करने में सक्षम होंगे, बल्कि इसके निपटारे के मामले में 3,000 टन आगे भी निकल जाएंगे। हमने निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है और अगले दो सप्ताह में हम इस उद्देश्य के लिए बोलियों को अंतिम रूप देंगे।’’
गुरुस्वामी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के 26 जुलाई के आदेश के कारण एमसीडी को सभी आवश्यक मंजूरी मिल गई है और अब काम शुरू हो गया है।
उन्होंने दलील दी, ‘‘दिल्ली सरकार ने सीमा तय कर दी है जिसके तहत नगर निगम आयुक्त ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अनुबंध प्रदान कर सकते हैं। प्रस्ताव को दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय से मंजूरी मिल गई है और प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह प्रस्ताव दशकों से अटका हुआ था।’’
न्यायालय ने गुरुस्वामी को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें 26 जुलाई के आदेश के बाद नगर निकाय द्वारा उठाये गए कदमों की जानकारी दी जाए।
इसके साथ ही, न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 25 नवंबर निर्धारित कर दी।
न्यायालय ने 26 जुलाई को एमसीडी की आलोचना की और कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन 11,000 टन से अधिक ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जबकि इनका निपटारा करने वाले संयंत्रों की दैनिक क्षमता केवल 8,073 टन है।
एमसीडी के हलफनामे का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन कचरे का निपटारा करने के लिए 2027 तक इसका उपाय किये जाने की भी संभावना नहीं है।
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