जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य का दर्जा बहाल करना चाहती है, अनुच्छेद 370 नहीं: इंजीनियर राशिद
पारुल नरेश
- 18 Oct 2024, 05:56 PM
- Updated: 05:56 PM
श्रीनगर, 18 अक्टूबर (भाषा) बारामूला से सांसद शेख अब्दुल राशिद ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुच्छेद 370 नहीं, बल्कि सिर्फ राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित करने की खबरें हैं, जो ‘बहुत दर्दनाक’ है और सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के सैद्धांतिक रुख से ‘भटकने जैसा’ है।
इंजीनियर राशिद के नाम से मशहूर शेख अब्दुल राशिद की यह टिप्पणी जम्मू के अखबार 'दैनिक एक्सेलसियर' में प्रकाशित उस खबर के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि अब्दुल्ला सरकार ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के अनुरोध वाला प्रस्ताव पारित किया है। खबर में यह भी कहा गया है कि प्रस्ताव का मसौदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद दिल्ली जाएंगे।
हालांकि, खबर की न तो आधिकारिक पुष्टि हुई है और न ही इसका खंडन किया गया है।
राशिद ने कहा, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि राज्य का दर्जा बहाल करने के अनुरोध वाला प्रस्ताव पारित किया गया है। कुछ भी पारित करना उनका अधिकार है। लेकिन हम उमर को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35ए तथा राज्य के दर्जे के बहाली की वादे को लेकर चुनाव लड़ा था।’’
उन्होंने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इसलिए ऐसी खबरें बहुत दर्दनाक हैं कि केवल राज्य के दर्जे के संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है। यह उमर की पार्टी के सैद्धांतिक रुख से भटकने के समान है।’’
राशिद ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और (केंद्रीय) गृह मंत्री ने कई बार राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है। तो उमर यही चीज क्यों चाह रहे हैं? वह उस चीज को क्यों मांग रहे हैं, जो भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) पहले से ही देने को तैयार है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि वह (अनुच्छेद) 370 और 35ए के बारे में बात करने को तैयार नहीं हैं। यह सिर्फ दिखावा है और वह उस एजेंडे से भटक रहे हैं, जिस पर उन्होंने चुनाव लड़ा था।’’
आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख राशिद ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच कुछ चल रहा है। वे लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं। केंद्र को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य का दर्जा बहाल करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब्दुल्ला सिर्फ शहीदों में शुमार होना चाहते हैं। वह अन्य मुख्य मुद्दों से भागना चाहते हैं... यह शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री बनने के बाद किए गए धोखे जैसा है।’’
शपथ ग्रहण समारोह के दिन तीन बार पोशाक बदलने के लिए उमर पर निशाना साधते हुए राशिद ने कहा कि इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री शपथ लेकर बहुत खुश थे, जबकि उन्हें उस दिन गंभीर होना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे लेकर उन पर हमला नहीं कर रहा हूं। यह उनका निजी फैसला है और वह जो चाहें, करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन, चूंकि वह एक मुख्यमंत्री हैं, इसलिए हमें इन चीजों पर ध्यान देना पड़ता है।’’
एआईपी प्रमुख ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि उन्हें असल मुद्दों की कोई चिंता नहीं है। ऐसा लगता है कि वह भाजपा के साथ अपनी दोस्ती को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तारीफ की।’’
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को केंद्र के समर्थन की जरूरत है और ‘हम चाहते हैं कि केंद्र प्रशासनिक और विकास संबंधी मुद्दों पर सरकार का समर्थन करे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उमर अपने रुख से भटक जाएं।’
राशिद ने आरोप लगाया, ‘‘वह (उमर) मोदी और भाजपा सरकार के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने का बहाना ढूंढ रहे हैं। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि अगर भाजपा 100 साल तक सत्ता में रहती है, तो क्या कश्मीरियों को अपने अधिकार मांगने के लिए 100 साल तक इंतजार करना चाहिए।’’
उन्होंने सरकार से 'दरबार स्थानांतरण' की प्रथा को भी बहाल करने का आग्रह किया, जिसके तहत सर्दियों में छह महीने के लिए शासन जम्मू और गर्मियों में छह महीने के लिए श्रीनगर से चलाया जाता है।
एआईपी सांसद ने कहा, ‘‘उन्हें (उमर) लोगों को बताना चाहिए कि कौन-सा शहर केंद्र-शासित प्रदेश की राजधानी है---श्रीनगर या जम्मू। उनकी सरकार कहां बैठेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि दरबार स्थानांतरण की परंपरा बरकरार रहे। यह दोनों क्षेत्रों के बीच जुड़ाव का सूत्र है।’’
भाषा पारुल