जम्मू-कश्मीर सरकार का पहला प्रस्ताव अनुच्छेद 370 पर नहीं होना बड़ा झटका : पीडीपी
प्रशांत पवनेश
- 18 Oct 2024, 04:03 PM
- Updated: 04:03 PM
श्रीनगर, 18 अक्टूबर (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार का पहला प्रस्ताव जिसमें अनुच्छेद 370 को नहीं, बल्कि राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है, एक “बड़ा झटका” है और यह केंद्र के 2019 के फैसलों के अनुसमर्थन से कम नहीं है।
एक अन्य राजनीतिक दल, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने भी प्रस्ताव की गोपनीयता पर सवाल उठाया है।
यह प्रतिक्रिया जम्मू स्थित समाचार पत्र ‘डेली एक्सेलसियर’ द्वारा प्रकाशित एक खबर के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया है। खबर में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री प्रस्ताव का मसौदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपने के लिए दिल्ली जाएंगे।
अभी तक इस खबर की कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन हालांकि नहीं हुआ है।
पीडीपी की युवा इकाई के अध्यक्ष और पुलवामा से नवनिर्वाचित विधायक वहीद पर्रा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “राज्य के दर्जे पर उमर अब्दुल्ला का पहला प्रस्ताव पांच अगस्त, 2019 के निर्णय के अनुसमर्थन से कम नहीं है। अनुच्छेद 370 पर कोई समाधान नहीं निकलना और मांग को केवल राज्य के दर्जे तक सीमित कर देना एक बहुत बड़ा झटका है, खासकर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के वादे पर वोट मांगने के बाद।”
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कैबिनेट द्वारा पारित राज्य का प्रस्ताव “रहस्य और गोपनीयता में क्यों लिपटा हुआ है कि केवल एक अखबार ही इसे प्रकाशित करता है”।
लोन ने ‘एक्स’ पर कहा, “मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के सीएस (मुख्य सचिव) ने अधिसूचना जारी कर दी होगी, क्योंकि यह प्रोटोकॉल है।”
हंदवाड़ा से निर्वाचित विधायक लोन ने हालांकि कहा कि प्रस्ताव कैबिनेट की बजाय विधानसभा में पारित किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, “मैं बहुत विनम्रता से कहना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा विधानसभा में झलकती है, मंत्रिमंडल में नहीं। मंत्रिमंडल शासन की एक बहुसंख्यक संस्था है। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुसार सभी भावनाओं और विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करता है।”
उन्होंने कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है, पूरे देश में राज्य का दर्जा या अनुच्छेद 370 जैसे बड़े मुद्दों के समाधान के लिए विधानसभा ही उचित संस्था है।”
उन्होंने सवाल किया, “जब नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने स्वायत्तता पर प्रस्ताव पारित किया, तो उन्होंने इसे विधानसभा में पारित किया, मंत्रिमंडल प्रस्ताव के माध्यम से नहीं। अब क्या बदलाव आया है? समझ में नहीं आता कि इस प्रस्ताव को विधानसभा के लिए क्यों नहीं रखा जाना चाहिए था। हम हर चीज को इतना महत्वहीन क्यों बना रहे हैं।”
अलगाववाद छोड़कर मुख्यधारा की राजनीति में आए लोन ने कहा कि उन्हें यह देखना भाएगा कि विधानसभा में जब राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 का प्रस्ताव पेश किया जाएगा तो भाजपा और अन्य पार्टियां किस तरह मतदान करती हैं।
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