तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस्तीफा दिया
संतोष पवनेश
- 16 Oct 2024, 10:34 PM
- Updated: 10:34 PM
चंडीगढ़, 16 अक्टूबर (भाषा) ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बुधवार को तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा पर उन्हें ‘निशाना’ बनाने का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया।
यह घटनाक्रम अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा वल्टोहा को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से निष्कासित करने के निर्देश जारी करने के एक दिन बाद सामने आया है। ज्ञानी रघुबीर सिंह ने वल्टोहा को सिख धर्मगुरुओं के ‘चरित्र हनन का दोषी’ पाया था। इस निर्देश के बाद वल्टोहा ने मंगलवार को शिअद से इस्तीफा दे दिया था।
इस बीच, अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, ज्ञानी हरप्रीत सिंह के समर्थन में सामने आए और उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को उनका इस्तीफा स्वीकार न करने का निर्देश जारी किया। साथ ही यह धमकी दी कि वह भी अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
तख्त दमदमा साहिब सिखों के पांच तख्त में से एक है और यह बठिंडा जिले के तलवंडी साबो में स्थित है। बुधवार को एक वीडियो संदेश में सिख विद्वान ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने वल्टोहा पर लगातार उनके ‘चरित्र हनन’ में लिप्त रहने और उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाया।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘मैं सिख समुदाय को सूचित करना चाहता हूं कि अकाल तख्त ने कल विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ फैसला सुनाया है, जो लगातार सिख धर्मगुरुओं के चरित्र हनन में लिप्त रहे हैं। इसके बाद भी वह हर घंटे चरित्र हनन कर रहे हैं। वह खास तौर पर मुझे निशाना बना रहे हैं। अब उन्होंने सारी हदें पार कर दी हैं।’’
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि उनके परिवार को भी निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि शिअद का सोशल मीडिया वल्टोहा के दावों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं वल्टोहा से नहीं डरता।’’
उन्होंने यह भी कहा कि एसजीपीसी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वह जत्थेदार के तौर पर अपनी भूमिका नहीं निभा सकते।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘मैं जहां जत्थेदार हूं, वहीं बेटियों का पिता भी हूं... इसलिए मैं अपना इस्तीफा एसजीपीसी प्रमुख को भेज रहा हूं और उनसे इसे स्वीकार करने के लिए कहा है।’’
ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इस्तीफे के कुछ ही घंटों बाद अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने आरोप लगाया कि वल्टोहा लगातार सोशल मीडिया पर सिख धर्मगुरुओं को निशाना बना रहे हैं।
उन्होंने एसजीपीसी अध्यक्ष को ज्ञानी हरप्रीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार न करने का निर्देश दिया। उन्होंने ज्ञानी हरप्रीत सिंह से इस्तीफे के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की भी अपील की।
अकाल तख्त के जत्थेदार ने मंगलवार को एक फरमान जारी कर शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदर को निर्देश दिया था कि वल्टोहा को 24 घंटे के अंदर पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए और उनकी सदस्यता 10 साल के लिए समाप्त कर दी जाए।
अकाल तख्त के जत्थेदार ने मंगलवार को आपात बैठक के दौरान वल्टोहा के खिलाफ कार्रवाई की थी। वल्टोहा को निर्देश दिया गया था कि वह अपने इस आरोप के समर्थन में सबूत पेश करें कि शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से जुड़े मामलों में जत्थेदार ‘भाजपा-आरएसएस’ और कुछ अन्य लोगों के दबाव में हैं।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने यह भी आरोप लगाया था कि वल्टोहा ने उनसे सुखबीर के खिलाफ कोई फैसला न लेने को कहा था। वल्टोहा ने शिअद प्रमुख के लिए ‘तनखैया’ (धार्मिक सजा) घोषित करने में सिख धर्मगुरुओं द्वारा की गई देरी पर भी सवाल उठाया था।
अकाल तख्त ने 30 अगस्त को सुखबीर को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था।
भाषा संतोष